नई दिल्ली/भाषा। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मीडिया शाखा तथा अन्य संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित संगोष्ठी में इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि आरक्षण का लाभ ऐसे दलितों को नहीं दिया जाना चाहिए, जिन्होंने धर्मांतरण करके इस्लाम, ईसाई या कोई अन्य धर्म अपना लिया है।
उन्होंने कहा कि दो दिवसीय संगोष्ठी के बाद आरएसएस की मीडिया शाखा विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) ने न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन आयोग को एक ज्ञापन सौंपने का फैसला किया। केंद्र सरकार ने धर्मांतरण कर चुके अनुसूचित जातियों के लोगों को आरक्षण देने के मुद्दे का परीक्षण करने के लिए इस आयोग का गठन किया है।
इस मुद्दे पर गौर करने के लिए केंद्र द्वारा तीन सदस्यीय समिति नियुक्त करने के आलोक में वीएसके ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, और पाक्षिक पत्रिका हिंदू विश्व के साथ मिलकर ‘धर्मांतरण एवं आरक्षण’ विषय पर इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। यह आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर मे किया गया था।
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा, ‘संगोष्ठी में सर्वसम्मति से यह बात दोहराई कि अनुसूचित जाति को आरक्षण धर्म का विषय है। इस अनुसूची में जातियों के चयन का आधार सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक पिछड़ापन है।’
कुमार ने कहा कि वीएसके केजी बालकृष्णन आयोग को सौंपने के लिए एक ज्ञापन तैयार करेगा और इस मामले में व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध भी करेगा।
विहिप नेता ने कहा, ‘हम तार्किक और उचित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आयोग के सामने तथ्यों को रखने के लिए सभी संभव कदम उठाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों एवं ईसाइयों में ओबीसी विभिन्न राज्यों में संबंधित कोटा के तहत आरक्षण का लाभ पहले से ही लेते हैं।’
उन्होंने कहा कि अन्य ‘गरीब मुसलमान एवं ईसाई’ आर्थिक रूप से कमजोर तबके के आरक्षण के हकदार हैं।