बरतनी होगी सावधानी

समय आ गया है कि अब हम कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतें

याद करें, साल 2020 में इन दिनों कितनी घबराहट का माहौल था

देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी दिखाई दे रही है, जो चिंताजनक है। एक दिन में संक्रमण के 6,050 नए मामलों का आना बता रहा है कि कहीं-न-कहीं अनुशासन की कड़ी कमजोर हुई है। ये आंकड़े इसलिए भी चिंताजनक हैं, क्योंकि पिछले 203 दिनों में सामने आए सर्वाधिक दैनिक मामले हैं। अब उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 28,303 पर पहुंच गई है। 

समय आ गया है कि अब हम कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतें, अनुशासन का पालन करें। याद करें, साल 2020 में इन दिनों कितनी घबराहट का माहौल था। देश को लॉकडाउन जैसा सख्त फैसला लेना पड़ा था। लोगों की सेहत, जान और कारोबार का बहुत नुकसान हुआ था। हमारे वैज्ञानिक और चिकित्सक समुदाय ने इस महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए कड़ी मेहनत की और आज स्थिति बहुत बेहतर है, लेकिन हमें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि कोरोना वायरस चला गया है। यह वायरस यहीं है। यह टीकाकरण के कारण उतना घातक नहीं रहा, लेकिन अब भी कुछ लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। 

इसके मद्देनजर जरूरी है कि संक्रमण रोकने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाएं। जानकारों का मानना है कि कोरोना वायरस के उतना घातक होने की आशंका नहीं है, जैसा कि हमने साल 2020 और 2021 में देखा था, लेकिन मामले बढ़ रहे हैं, लोग संक्रमित हो रहे हैं। कम तादाद में ही सही, अस्पतालों में मरीज भर्ती हो रहे हैं। मुश्किल हालात पैदा न हों, इसके लिए अभी से सावधानी बरत लें तो यह फायदेमंद रहेगा।

साल 2021 में जब कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने लगी थी, तब लोग काफी हद तक सावधानियों का पालन कर रहे थे। हाथों की स्वच्छता, मास्क, सात्विक भोजन, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों का वैद्य की सलाह से सेवन, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन हो रहा था। लोगों में अपनी सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी थी। वे गरिष्ठ, अत्यधिक तले-भुने खाने की जगह पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता देने लगे थे। ऐसा भी देखा गया कि जो सुबह देर से उठते थे, वे सूर्योदय से पहले उठकर प्राणायाम करने लगे थे। अब इन सबमें शिथिलता बरती जा रही है। हाथों की स्वच्छता को गंभीरता से लेने वालों की संख्या कम हो रही है। मास्क तो बहुत पहले गायब हो गए। 

अब भीड़-भड़ाके में सामान्य सावधानियों का पालन नदारद हो गया है। जरूरी न हो तो भी देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने का ढर्रा फिर चल पड़ा है। कुल मिलाकर सेहत के प्रति अगंभीरता दिखाई दे रही है, जिससे कोरोना वायरस को मौका मिल रहा है। देश बहुत मुश्किल से उस दौर से निकलकर आया है, जब चारों ओर भय तथा निराशा का वातावरण था। वह दौर वापस नहीं आना चाहिए। निस्संदेह आज स्थिति बहुत बेहतर हो गई है। अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हम ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। 

दुनिया भारत को आशा भरी नजर से देख रही है। भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। यह खुशहाली उसी स्थिति में संभव है, जब भारत कोरोना वायरस पर निर्णायक विजय प्राप्त कर ले। इसके लिए देशवासियों को जागरूकता दिखानी होगी, सावधानी बरतनी होगी। अगर अब लापरवाही बरतेंगे तो वह बहुत भारी पड़ सकती है।

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