जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना के वाहन पर आतंकी हमले में पांच जवानों का वीरगति को प्राप्त होना अत्यंत दु:खद है। यह घटना सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक भी है। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद घुसपैठ की घटनाएं तो हुईं और छोटे स्तर पर आतंकी हमले भी देखे गए, लेकिन अब देश को बड़े हमले में करीब आधा दर्जन जवानों का नुकसान हुआ है, जिसके मद्देनजर 'उचित' कार्रवाई करने की ज़रूरत है।
यह हमला ऐसे समय में हुआ, जब जम्मू-कश्मीर में जी-20 की बैठक होनी है। पाकिस्तान की मंशा है कि वह किसी भी कीमत पर यहां 'रंग में भंग' डाले और दुनिया को यह बताए कि 'जम्मू-कश्मीर में सबकुछ ठीक नहीं है, यह क्षेत्र सुरक्षित नहीं है।'
सुरक्षा मामलों के जानकारों को पहले से ऐसी आशंका थी कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इस तरह की कोई हरकत जरूर करेगी। आखिरकार उसने ऐसा किया। अब पाकिस्तान चाहे इससे अपना पल्ला झाड़ ले, लेकिन यह जगजाहिर है कि भारत में आतंकी घटनाएं वही कराता है। पाक जानता है कि जब जी-20 की बैठक होगी तो पूरी दुनिया भारत की आर्थिक शक्ति और सामर्थ्य को देखेगी। यहां निवेशक आएंगे, दफ्तर खुलेंगे, युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
दूसरी ओर पाकिस्तान दर-दर जाकर हाथ फैला रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह तबाह हो चुकी है और उसके पटरी पर आने की दूर-दूर तक कोई संभावना नजर नहीं आती है। भारत से अकारण ही शत्रुता और ईर्ष्या रखने वाला यह पड़ोसी ऐसी हरकतें करे तो इसमें चकित होने की बात नहीं है। पाकिस्तान जब से अस्तित्व में आया है, उसका सपना खुद का आर्थिक विकास और खुशहाली नहीं, बल्कि भारत को तकलीफ देते रहना है।
पुंछ हमले के बाद भारत में ऐसी आवाजें उठ रही हैं कि पाकिस्तान को उसकी इस हरकत की सजा मिलनी चाहिए, भारतीय सेना को कार्रवाई करनी चाहिए। निस्संदेह समस्त भारतवासियों को अपने वीर जवानों के बलिदान से दु:ख हुआ है और उनकी ओर से पाक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की मांग करना स्वाभाविक है।
कुछ लोग तो यह 'सुझाव' देने लगे हैं कि 'पीओके में मिसाइल हमला या एयर स्ट्राइक कर आतंकवादियों के अड्डों को तबाह कर देना चाहिए।' इस समय देशवासियों को धैर्य रखने की ज़रूरत है। उन्हें ऐसा कोई सुझाव देने से परहेज करना चाहिए कि भारतीय सेना को कब और किस क्षेत्र में कार्रवाई करनी है।
याद रखें कि जिस सोशल मीडिया मंच पर आप कोई जानकारी पोस्ट करते हैं, उसे पाकिस्तान में भी देखा जा सकता है। लिहाजा ऐसी संवेदनशील जानकारी या तथ्य साझा करने से बचें, जिससे भारत की रणनीति प्रभावित हो और पाकिस्तान फायदा उठाए। हमारी सेना और खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी बेहतर जानते हैं कि पाक को कब, कहां और किस भाषा में जवाब देना है। वह जवाब देना चाहिए, लेकिन उसका समय और तरीका निर्धारित करने की जिम्मेदारी उन लोगों पर छोड़ देनी चाहिए, जो इसके विशेषज्ञ हैं।
पाकिस्तान तो चाहता है कि उक्त घटना के तुरंत बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़े और सैन्य झड़पें हों, जिससे जी-20 बैठक का उद्देश्य पूरा न हो। निस्संदेह भारतीय सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी उक्त हमले की कड़ियां जोड़ते हुए उसे अंजाम देनेवालों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और वे उसमें कामयाब हो जाएंगे।
जो आतंकवादी पूर्व में हमले कर यह भ्रम पाल बैठे थे कि वे बच जाएंगे, उन्हें समय आने पर सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। उसी तरह ये हमलावर मारे जाएंगे और उनके 'आका' भी खामियाजा भुगतेंगे। बस, उस दिन का इंतज़ार करें और जी-20 बैठक को सफल बनाएं।