ठगी का नेटवर्क

श्रीनिवास की जालसाजी में चीन से संबंध भी सामने आया है

चीन कुछ लालची लोगों का इस्तेमाल कर हमारी अर्थव्यवस्था पर चोट कर रहा है

देश में साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नई तकनीक का इस्तेमाल कर साइबर ठग आम जनता को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जांच एजेंसियों को कुछ मामलों में सफलता जरूर मिलती है, लेकिन आज भी ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम कि ठगी हो जाए तो कहां शिकायत करें और किस तरह लेनदेन पर रोक लगवाएं। 

ठगों के हौसले किस कदर बुलंद होते जा रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई पुलिस ने नकली पुलिस अधिकारी बन देशभर के कई लोगों से ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसका सरगना अपने खाते से रोजाना पांच करोड़ रुपए से अधिक रकम का लेनदेन करता था! 

बारहवीं तक पढ़ा श्रीनिवास राव डाडी अब तक कितने लोगों को चूना लगा चुका होगा? तकनीक की गहरी जानकारी रखने वाले इस शख्स को बांगुर नगर पुलिस की एक टीम ने हैदराबाद के आलीशान होटल से हिरासत में लिया था। अभी तक जो जानकारी सामने आई, उसके मुताबिक, इस शख्स ने शातिर लोगों का एक गिरोह बना रखा है। गिरोह के चार सदस्य भी पकड़े गए हैं। ये लोग 40 बैंक खातों से ठगी का 'धंधा' कर रहे थे। 

सरकारों, बैंकों और जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने वाले संगठनों की लाख कोशिशों के बावजूद साइबर ठग खूब फलफूल रहे हैं। झारखंड का एक इलाका, जहां कई घरों में लोग साइबर ठगी को 'कारोबार' बना चुके हैं, की तस्वीरें हैरान करने वाली हैं। कुछ साल पहले तक जो लोग बहुत मुश्किल से गुजारा कर पाते थे, अब वे 'ठाठ' से रहने लगे हैं। बड़े-बड़े मकान बनवा लिए, वाहन खरीद लिए। साइबर ठगों ने देशभर में कितने ही खातों में सेंध लगाकर लोगों की मेहनत की कमाई हड़प ली। जब तक सरकारें इनके खिलाफ आक्रामक होकर कार्रवाई नहीं करेंगी, अपराध पर काबू पाना बहुत मुश्किल है।

साइबर ठगों को आजाद घूमते और ऐश करते देख बहुत लोगों के मन में यह विचार आता है कि हमें ईमानदारी से क्या मिला ... दुनिया में मज़े तो ये लोग कर रहे हैं! ऐसी सोच उन्हें साइबर ठग बनने के लिए उकसा सकती है। सरकारों को चाहिए कि साइबर ठगों के लिए कठोरतम दंड का प्रावधान करे, ताकि दूसरे भी उनसे सबक लें। 

श्रीनिवास की जालसाजी में चीन से संबंध भी सामने आया है। उसका गिरोह जो रकम उड़ाता, उसे बाद में क्रिप्टो मुद्रा में बदल दिया जाता। फिर वह रकम एक चीनी नागरिक के पास स्थानांतरित कर दी जाती थी। सवाल है- क्या चीन हमारे देश में ऐसे ठगों को तकनीकी सहयोग दे रहा है? चूंकि चीन हमारे सैनिकों की दृढ़ता और वीरता के कारण उनसे प्रत्यक्ष युद्ध नहीं कर सकता। एलएसी पर उसके जवानों को भारतीय सैनिकों ने बुरी तरह पीटा था। 

क्या चीन साइबर ठगी का जाल बिछाकर हमारे देश के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ रहा है? इसमें उसे एक गोली भी नहीं चलानी पड़ती, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। अगर इसकी गणना वार्षिक आधार पर की जाए तो आंकड़ा अरबों रुपए में जाता है। निश्चित रूप से यह बहुत बड़ी रकम है। 

चीन कुछ लालची लोगों का इस्तेमाल कर हमारी अर्थव्यवस्था पर चोट कर रहा है। एजेंसियों को पता लगाना चाहिए कि इन ठगों का नेटवर्क कहां-कहां मौजूद है। ऐसे अपराधियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाकर उन्हें न्यायालय से दंड दिलाना चाहिए। 

श्रीनिवास और उसके साथी नकली पुलिसकर्मी बनकर प्राय: महिलाओं को फोन करते और यह दावा करते थे कि उनके नाम से भेजे गए कूरियर में हथियार या मादक पदार्थ मिले हैं। फिर वे डरा-धमकाकर रुपए लूट लेते थे। 

सवाल है- आम लोग पुलिस के नाम से इतना क्यों डरते हैं? पुलिस तो उनकी सुरक्षा के लिए है। अब जरूरत इस बात की भी है कि पुलिस व्यवस्था में सुधार किए जाएं, ताकि लोग बेखौफ होकर अपनी समस्या उसके साथ साझा कर सकें। पुलिस और आम जन के सहयोग से ही साइबर अपराधों पर काबू पाया जा सकता है।

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