नापाक दांव

महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने जिन वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया है, उनकी उम्र करीब 59 साल है

सरकार और खुफिया एजेंसियों को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को गोपनीय जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार होना अत्यंत चिंता का विषय है। जो लोग तकनीक के विशेषज्ञ हैं, जिन पर हमारे देश की सुरक्षा को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी है, वे सोशल मीडिया पर किसी पाकिस्तानी महिला एजेंट के झांसे में कैसे आ सकते हैं? 

क्या उन्हें इस बात की जानकारी नहीं कि दुश्मन देशों की एजेंसियां हमेशा इस ताक में रहती हैं कि कब ऐसे पद पर कार्यरत कोई अधिकारी या कर्मचारी उनके निशाने पर आए और वे उसका शिकार करें? 

महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने जिन वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया है, उनकी उम्र करीब 59 साल है। वे बहुत अनुभवी हैं। उन्हें पूरी तरह से पता है कि किस कदम से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, जिनका सीधा संबंध हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था से है। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक ने दुश्मन देश की 'महिला' की बातों में आकर अपनी मातृभूमि का सौदा कर लिया? 

सरकार और खुफिया एजेंसियों को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके आधार पर यही कहा जा रहा है कि यह वैज्ञानिक साल 2022 से पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में था। मामला हनी ट्रैप का है, जिसकी शुरुआत पाकिस्तानी महिला एजेंट ने सितंबर 2022 में वॉट्सऐप के जरिए संपर्क से की थी।

क्या पुणे में डीआरडीओ की एक इकाई के निदेशक रहे इस वरिष्ठ वैज्ञानिक को यह तक पता नहीं चला कि जिस महिला से वॉट्सऐप मैसेज और वीडियो कॉल पर बातचीत हो रही है, वह पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी की एजेंट है? उसका तो मकसद ही 'मीठी-मीठी' बातें कर ज़्यादा से ज़्यादा राज़ हासिल करना है! 

यह पहला मौका नहीं है, जब देश की सुरक्षा से जुड़ा कोई व्यक्ति पाकिस्तानी एजेंसियों के ऐसे जाल में फंसा है। इससे पहले ब्रह्मोस से जुड़े एक युवा इंजीनियर का मामला खूब सुर्खियों में रहा था। भारतीय सेना, बीएसएफ में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। यह देखकर आश्चर्य भी होता है कि इतने अध्ययन और प्रशिक्षण के बाद संवेदनशील स्थानों पर तैनात लोग इतनी आसानी से पाकिस्तानी महिला एजेंटों के जाल में फंस जाते हैं! ज़्यादातर मामलों में यह देखने में आया है कि सबसे पहले संबंधित व्यक्ति को सोशल मीडिया पर कोई संदेश मिला। फिर किसी बहाने से बातचीत शुरू हुई। उसके बाद 'दोस्ती' हुई, जो धीरे-धीरे 'गहरी' होती गई। फिर बात मैसेज से वीडियो कॉल पर आ गई, जिनमें अश्लीलता भी थी। 

इस दौरान महिला ने सुरक्षा से जुड़ी कोई साधारण जानकारी मांगी। फिर कुछ महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारी मांगी। इधर, उस महिला के मोहपाश में फंसा व्यक्ति उसके 'आदेश' का पालन करता हुआ जानकारी भेजता रहा। पाकिस्तान के किसी शहर में बैठी वह 'महिला' अपने रूप का जाल कई जगह फेंकती है और उसे निराश नहीं होना पड़ता है, क्योंकि कहीं-न-कहीं कुछ लोग ऐसे मिल ही जाते हैं, जो उसकी 'बातों' को प्रेम समझ लेते हैं। कुछ मामलों में तो ये एजेंट संबंधित व्यक्ति को रुपए भी भेज देती हैं। 

जो व्यक्ति एक बार इस जाल में फंस जाता है, वह अपना नुकसान तो करता ही है, देश का नुकसान भी कर बैठता है। ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जरूरी है कि संवेदनशील स्थानों पर तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही कड़ी नज़र भी रखी जाए, ताकि दुश्मन का यह नापाक दांव कभी कामयाब न हो।

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