नई दिल्ली/भाषा। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को कहा कि 2,000 रुपए का नोट वापस लिए जाना ‘बहुत बड़ी घटना’ नहीं है और इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि 2,000 रुपए के नोट को साल 2016 में विमुद्रीकरण के समय ‘आकस्मिक कारणों’ से मुद्रा की अस्थायी कमी को दूर करने के लिए लगाया गया था।
गर्ग ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में डिजिटल भुगतान में भारी वृद्धि के बाद, 2,000 रुपए का नोट (जो वास्तव में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों के स्थान पर लाया गया था) वापस लेने से कुल मुद्रा प्रवाह प्रभावित नहीं होगा और इसलिए मौद्रिक नीति पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, इससे भारत के आर्थिक और वित्तीय तंत्र के परिचालन पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। जीडीपी वृद्धि या जन कल्याण पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को 2,000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। इस मूल्य के नोट बैंकों में जाकर 30 सितंबर तक जमा या बदले जा सकेंगे।
आरबीआई ने शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपए के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे।