मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा

जिम्मेदार पदों पर रहे लोगों को ऐसे बयान देने से परहेज करना चाहिए

पाकिस्तान उस कार्रवाई से सहमा जरूर, लेकिन सुधरा नहीं

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का यह बयान कि 'साल 2019 का लोकसभा चुनाव सैनिकों की लाशों पर लड़ा गया', अशोभनीय है। क्या मलिक यह कहना चाहते हैं कि आम जनता ने 'लाशों' पर वोट देकर सरकार बनाई? 

जिम्मेदार पदों पर रहे लोगों को ऐसे बयान देने से परहेज करना चाहिए। कौन भूल सकता है कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए कायराना आतंकवादी हमले में हमारे 40 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे? उस दिन हर आंख नम थी और सबको भारी शोक हुआ था। 

लोगों ने अपने शुभ कार्यों के आयोजन तक टाल दिए थे। उस रात कई लोग नींद नहीं ले पाए थे। उन्हें रह-रहकर अपने उन भाइयों की याद आ रही थी, जो पुलवामा में भारत मां के लिए बलिदान हो गए थे। उसके बाद देशवासियों ने कई जगह जुलूस निकाले, वीरों को श्रद्धांजलि दी और पाकिस्तान के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग की थी। 

उनकी यह मांग न्यायोचित थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सेना और सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी नहीं है। इसी तरह, जवानों और उनके परिजन की पीड़ा सिर्फ उनकी पीड़ा नहीं है। यह तो समस्त भारतवासियों की जिम्मेदारी और समस्त भारतवासियों की पीड़ा होनी चाहिए। देशवासियों ने यही किया। इसके बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक का आदेश दिया। 

हमारे लड़ाकू विमानों ने भारी गरजना करते हुए सरहद पार की और बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंप को उड़ा दिया। इस बीच, भारत में यह भी शोर मचा कि कितने आतंकवादी मारे गए, उसका सबूत चाहिए। उसका जवाब सरकार और वायुसेना से पहले देशवासियों ने ही दे दिया कि जिसे सबूत चाहिए, वह बालाकोट जाकर देख आए ... हमारी वायुसेना का काम दुश्मन को मारना है, बैठकर उसकी गिनती करना नहीं है।

पाकिस्तान उस कार्रवाई से सहमा जरूर, लेकिन सुधरा नहीं। अब उसे विश्वास हो चला है कि उसकी हरकतों को भारत बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयरस्ट्राइक, इन कार्रवाइयों ने आम हिंदुस्तानी को बहुत आत्मविश्वास दिया है। निस्संदेह एयरस्ट्राइक के कारण भी साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट मिले थे। 

मतदाताओं ने ज्यादा सीटों के साथ नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया, क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए दंडित करने का फैसला लिया था। क्या सत्यपाल मलिक यह कहना चाहते हैं कि भारत सरकार को एयरस्ट्राइक की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी? अगर एयरस्ट्राइक नहीं की जाती तो आज मलिक यह 'तर्क' दे रहे होते कि हमारे जवानों के बलिदान का सम्मान नहीं किया, पाक को दंड नहीं दिया! 

आज जो वैश्विक परिस्थितियां हैं, उनके मद्देनजर यह बहुत ज़रूरी है कि हर नागरिक को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मूलभूत बातों का ज्ञान हो। उसे शत्रुबोध हो। चाहे राजनीतिक विचारधाराएं अलग हों, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सबका स्वर एक हो। इस पर बहस होनी चाहिए कि कौनसी पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा को अधिक महत्त्व देती है ... पाकिस्तान और चीन के खिलाफ किसका रुख ज़्यादा सख्त है ... कब कितनी आतंकवादी घटनाएं हुईं, उनका किस तरह जवाब दिया गया और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए? 

इन सवालों के जवाब हर पार्टी से मांगने चाहिएं, उसे अपना रुख साफ करने के लिए कहना चाहिए। निस्संदेह देश में आर्थिक विकास, निवेश, रोजगार, जनकल्याण आदि से संबंधित कार्यक्रमों की बहुत ज़रूरत है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा उन सबसे पहले है। 

अगर हमारा राष्ट्र सुरक्षित होगा तो आर्थिक विकास भी होगा, निवेश आएगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और जनकल्याण संबंधी गतिविधियां होंगी। राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूती और राष्ट्र के शत्रुओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई चुनावी मुद्दा होना ही चाहिए।

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