भारत में इंटरनेट के प्रसार से अर्थव्यवस्था को बड़ी ताकत मिल रही है। विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों के बाद अब गूगल, टेमासेक और बेन एंड कंपनी की संयुक्त रिपोर्ट ने उचित ही कहा है कि भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था के वर्ष 2030 तक छह गुना वृद्धि के साथ एक लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा छूने की संभावना है।
रिपोर्ट का एक और उल्लेखनीय बिंदु यह है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान ई-कॉमर्स क्षेत्र का होगा। चूंकि भारत में खरीदारी के तौर-तरीके बदल रहे हैं। पहले कोई ग्राहक किसी (खास) चीज के लिए आधा दर्जन दुकानों के चक्कर लगाने के बाद उसे खरीदता और नकद भुगतान करता था। अब वही काम इंटरनेट के जरिए बेहद आसानी से हो रहा है।
ग्राहक अपने मोबाइल फोन में ऐप पर किसी चीज की गुणवत्ता और कीमतों के आधार पर तुलना कर उसका ऑर्डर देता है, ऑनलाइन भुगतान करता है, जिसके बाद वह उसके पते पर पहुंचा दी जाती है। जब गांवों और ढाणियों तक ई-कॉमर्स की पहुंच बढ़ेगी तो यह क्षेत्र नई बुलंदियों को छूएगा। इसके लिए व्यापारियों को ऑनलाइन होना पड़ेगा। वे जिस चीज के व्यापार में हैं, उसमें ऑनलाइन प्रसार की गुंजाइश खोजनी पड़ेगी। वे इंटरनेट के जरिए अपने ग्राहक तक कैसे आसानी से पहुंच सकते हैं, इसकी संभावना ढूंढ़नी होगी।
उक्त रिपोर्ट के इन शब्दों पर गौर करना जरूरी है- 'वृद्धि में सर्वाधिक योगदान व्यापारी से ग्राहक (बी2सी) ई-कॉमर्स खंड का होगा, जिसके बाद व्यापारी से व्यापारी (बी2बी) ई-कॉमर्स खंड, सेवा प्रदाता के तौर पर सॉफ्टवेयर और ओवर द टॉप (ओटीटी) की अगुआई में ऑनलाइन मीडिया का योगदान होगा। ... भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था वर्ष 2022 में 155-175 अरब डॉलर के बीच थी। ... भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था के छह गुना वृद्धि के साथ वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर हो जाने की संभावना है। ... भविष्य में ज्यादातर खरीदारी डिजिटल माध्यम से होगी। ... वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के लिए भारत अब एक नई उम्मीद है।'
निस्संदेह ये पंक्तियां बताती हैं कि भविष्य में हमारा देश प्रगति की किन ऊंचाइयों को छूने जा रहा है। अब इसका दूसरा पहलू देखना चाहिए। राजस्थान पुलिस की विशेष शाखा ‘स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप’ (एसओजी) ने एक प्रमुख ऑनलाइन कंपनी के ग्राहकों का डेटा चुराकर उससे पैसे ऐंठने के आरोप में एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है।
उदयपुर निवासी आरोपी ने महिलाओं के अंत:वस्त्र बेचने वाली एक ऑनलाइन कंपनी के ग्राहकों का डेटा उड़ा लिया था। वह यहीं नहीं रुका, उसने कंपनी से ज्यादा से ज्यादा रकम वसूलने के लिए मामले को सांप्रदायिक रूप दिया और सोशल मीडिया पर यह दावा किया कि एक समुदाय विशेष की महिलाओं का डेटा बेचा जा रहा है। इस एक घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 'डिजिटल अर्थव्यवस्था की राह' में डेटा सुरक्षा को लेकर सावधानी कितनी जरूरी है।
जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण होता जाएगा, उससे जुड़े जोखिम भी सामने आएंगे, जिनमें से डेटा सुरक्षा प्रमुख जोखिम है। यूं तो हर कंपनी और प्रतिष्ठान को अपने ग्राहकों के निजी डेटा की सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें विशेष सुरक्षा उपायों की जरूरत है।
उदाहरण के लिए, किसी मशहूर अस्पताल में सरकार व प्रशासन से जुड़े लोगों से लेकर आम नागरिक तक इलाज करवाते हैं। उसके पास उनकी बीमारियों से संबंधित डेटा है। हो सकता है कि कुछ लोगों को ऐसी गंभीर बीमारियां हों, जो वे किसी को बताने में सहज महसूस नहीं करते। एक दिन कुछ हैकरों ने उस अस्पताल के सिस्टम में सेंध लगाकर पूरा डेटा उड़ा लिया। अब वे हर उस व्यक्ति को फोन कर ब्लैकमेल कर रहे हैं, जिन्हें पूर्व में गंभीर बीमारियां थीं।
उस समय क्या स्थिति होगी? देशविरोधी शक्तियां और लालची लोग इस तरह के डेटा का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय हितों को गंभीर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसलिए 'डिजिटल अर्थव्यवस्था' के इस पहलू को भी ध्यान में रखना होगा। डेटा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए पुख्ता कदम उठाने होंगे।