बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारतीय रेलवे ने कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि रेलवे सुरक्षा निधि को फुट मसाजर, क्रॉकरी आदि पर खर्च किया गया था। उसने कहा, यह स्पष्ट किया जाता है कि इन वस्तुओं की खरीद रनिंग रूम में उपयोग के लिए की गई थी यानी गेस्ट हाउस, लोको पायलट, गार्ड के नौ-10 घंटे की लगातार ड्यूटी के बाद अनिवार्य आराम के लिए। ये सुरक्षा समिति की सिफारिशों के अनुसार हैं, न कि अनावश्यक खर्च, जैसा कि कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा गलत तरीके से मान लिया गया है।
रेलवे ने बताया कि वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में आरआरएसके (राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष) द्वारा वित्तपोषित किए जाने वाले सुरक्षा पर व्यय के आदेश की रूपरेखा तैयार की गई थी। इसमें सिविल इंजीनियरिंग कार्यों, सिग्नलिंग, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल कार्यों जैसी प्राथमिकता वाली सुरक्षा परियोजनाओं के अलावा, संचालन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मानवीय त्रुटियों की आशंका को कम करने, कार्य परिस्थितियों में सुधार और लोको पायलट आदि जैसे कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर खर्च का स्पष्ट प्रावधान था। मानव संसाधन विकास के लिए 1,861 करोड़ रुपए प्रदान किए गए थे।
रेलवे ने बताया कि ट्रेनों के लोको पायलट (चालक) घंटों एक साथ ट्रेनों में खड़े रहते हैं। ड्यूटी से साइन ऑफ के बाद वे अगली ड्यूटी से पहले अनिवार्य ब्रेक के लिए रनिंग रूम में जाते हैं।
रनिंग रूम में चालकों के लिए अन्य सुविधाओं के साथ-साथ मैस में क्रॉकरी और फुट मसाजर की व्यवस्था की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चालक अगली ड्यूटी से पहले अच्छी तरह से आराम कर सकें।
वर्ष 2013 की कैमटेक रिपोर्ट के आधार पर क्रॉकरी, फुट मसाजर, विंटर जैकेट आदि प्रदान किए जा रहे थे, जिन्हें मार्च 2014 में स्वीकार किया गया था और ऐसा वर्ष 2017-18 में आरआरएसके के संचालन में आने से बहुत पहले था।
रेलवे ने कहा कि सुरक्षा जनशक्ति के प्रशिक्षण के अलावा ट्रैक प्रबंधन प्रणाली अनुप्रयोग के लिए लैपटॉप और कंप्यूटर भी प्रदान किए गए। उसने कहा कि जैसा कि देखा जा सकता है कि सूचीबद्ध व्यय रनिंग रूम और प्रशिक्षण स्टाफ आदि के उन्नयन (अपग्रेडेशन) के लिए खरीद के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं, जो सीधे ट्रेन चलाने की सुरक्षा से संबंधित हैं और इसलिए अनावश्यक नहीं हैं, बल्कि आदेश का हिस्सा हैं।