देश में अच्छी चीजों पर बुरी चीजों के मुकाबले 40 गुना अधिक हो रही चर्चा: भागवत

वे उत्तरी मुंबई के कांदिवली उपनगर में सुवर्णा अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘कुछ लोग हैं जो हमें बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते'

मुंबई/भाषा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि देश में अब जो अच्छी चीजें हो रही हैं, उन पर बुरी चीजों के मुकाबले कम से कम 40 गुना अधिक चर्चा हो रही है।

वे उत्तरी मुंबई के कांदिवली उपनगर में सुवर्णा अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी उपस्थित रहे।

भागवत ने कहा, ‘कई बार नकारात्मक चर्चा सुनने को मिलती है। लेकिन जब हम देशभर में जाते हैं और देखते हैं तो हमें पता चलता है कि भारत में जो अच्छी चीजें हो रही हैं, उस पर बुरी चीजों के मुकाबले 40 गुना अधिक बात हो रही है।’

उन्होंने कहा, ‘सरकार की नीतियों और सरकार में जिम्मेदार लोगों के काम के कारण आज देश का उत्कर्ष हो रहा है। चीजें सुचारु रूप से चल रही हैं, क्योंकि कुछ लोग कुछ नहीं करते। अगर वे काम करेंगे तो दिक्कतें होंगी।’’

भागवत ने कहा कि लोगों में भारत को गौरव हासिल करते देखने की इच्छा 40 साल पहले की तुलना में आज अधिक प्रबल है। उन्होंने कहा, ‘इसे बढ़ना चाहिए। हम बढ़ रहे हैं लेकिन हम अभी तक उतने शक्तिशाली नहीं हैं।’

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘कुछ लोग हैं जो हमें बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते।’

उन्होंने कहा, ‘आज के समाज में सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य भी आवश्यक हो गए हैं।’

भागवत ने कहा, ‘अच्छा या बुरा तय करने का पैमाना क्या है? कुछ ऐसा होता है जो दिखाई देता है और दूसरी ओर कुछ ऐसा होता है जो असल में होता है। कोई इसे ऐसे दिखा सकता है कि यह हो गया, भले ही वह न हुआ हो।’

उन्होंने कहा कि जब वे कॉलेज में थे तो भाखड़ा नांगल बांध की तरह ‘आधुनिक तीर्थस्थल’ पर एक अध्याय था।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘इस अस्पताल जैसे आधुनिक तीर्थस्थल केंद्र हैं, जहां लोगों की सेवा की जाती है। आपने यहां एक तीर्थस्थल बनाने का काम किया है।’

भागवत ने द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने से पहले एडॉल्फ हिटलर के विदेश मंत्री वॉन रिबनट्रॉप की इंग्लैंड यात्रा को याद किया।

उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिश लोग जानते थे कि वे उनकी (युद्ध) तैयारियां देखने आए हैं। उन्होंने कार्डबोर्ड के विमान बनाए, आम लोगों को सेना की वर्दी पहनाई और जर्मन लोगों को यह महसूस कराया कि वे मजबूत स्थिति में हैं।’

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