लूट का खेल

सोशल मीडिया की डगर बहुत जोखिम भरी होती जा रही है

साइबर अपराधियों को ऐसी सजा मिले, जो दूसरों के लिए भी सबक बने

देश में साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। वे इस हद तक बेकाबू हो गए हैं कि केंद्रीय मंत्री तक को ब्लैकमेल करने लगे हैं। समय रहते इन पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो ये सभ्य समाज के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन जाएंगे। अब तक इन अपराधियों का जाना-पहचाना तरीका यह था कि वे बातों में उलझाकर बैंक खाते से रुपए उड़ा लेते थे। 

अब वे इससे एक कदम आगे बढ़कर लोगों को अश्लील वीडियो दिखा उन्हें ब्लैकमेल करने (सेक्सटॉर्शन) लगे हैं। वे इस दौरान संबंधित व्यक्ति की रिकॉर्डिंग कर लेते हैं, उसे बदनाम करने की धमकी देते हैं। फिर खुद के बैंक खाते में रुपए मंगवा लेते हैं। पहले जहां पीड़ित अनजाने में रुपए गंवा बैठता था, अब खुद उन्हें रुपए भेजता है। 

ये अपराधी उसे इस कदर ख़ौफ़ज़दा कर देते हैं कि वह पुलिस के पास जाने से भी कतराता है। कई लोग तो अपना सबकुछ लुटाकर पुलिस से मदद मांगने गए। वहीं, ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें पीड़ितों ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। ज्यादातर मामले में ऐसा होता है कि उनके पास वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल आता है। चूंकि नंबर अनजान होता है तो लोगों के मन में कुछ सवाल भी उठते हैं। 

फिर यह सोचकर वीडियो कॉल स्वीकार कर लेते हैं कि शायद कोई परिचित होगा। जैसे ही कॉल स्वीकार करते हैं, स्क्रीन पर एक अश्लील वीडियो चलने लगता है। अचानक ऐसा वीडियो देखकर संबंधित व्यक्ति हैरान रह जाता है। कुछ समय बाद कॉल कट जाता है। फिर दोबारा कॉल आता है और यह कहकर धमकी दी जाती है कि आपका एक आपत्तिजनक वीडियो हमारे पास है। हमें इतने रुपए भेजें, अन्यथा यह वीडियो आपके परिचितों को भेजकर बदनाम करेंगे।

कुछ मामलों में यह देखा गया है कि साइबर अपराधी खुद को पुलिस या किसी चर्चित जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर दावा करता है कि आपके खिलाफ अश्लीलता को लेकर केस दर्ज हुआ है और वह वीडियो हमारे दफ्तर में स्क्रीन पर चल रहा है, जिसे सभी अधिकारी व कर्मचारी देख रहे हैं। अगर आप कानूनी कार्रवाई से बचना चाहते हैं तो दिए गए नंबर पर जुर्माने के तौर पर रुपए भेज दीजिए। 

चूंकि ऐसे मामलों में पीड़ित की कोई ग़लती नहीं होती। उसे जानबूझकर फंसाया जाता है, लेकिन वह धमकियों से इतना डर जाता है कि रुपए भेजकर पीछा छुड़ाना चाहता है। एक बार जब रुपए भेज देता है तो लूट का खेल शुरू हो जाता है। फिर उससे अलग-अलग खर्चों के नाम पर जमकर वसूली की जाती है। जब कभी पुलिस दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाती है तो ऐसे अपराधी पकड़ में भी आते हैं। 

जैसे, केंद्रीय मंत्री को ब्लैकमेल करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने राजस्थान से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह भी चिंता का विषय है कि हाल में राजस्थान में ऐसे मामले में कई अपराधी गिरफ्तार हुए हैं। सवाल है- क्या राजस्थान के कई इलाके साइबर अपराधियों के गढ़ बनते जा रहे हैं? 

ये अपराधी आम लोगों को तो लूट ही रहे हैं, प्रभावशाली लोगों को भी धमकी देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। क्या इनके पीछे कोई शक्तिशाली गिरोह है, जो इन्हें प्रशिक्षण दे रहा है और पुलिस की पकड़ से सुरक्षित रहने के हथकंडे सिखा रहा है? 

सोशल मीडिया की यह डगर बहुत जोखिम भरी होती जा रही है। इसे सुरक्षित बनाने और आम जनता का विश्वास कायम रखने के लिए जरूरी है कि साइबर अपराधियों को ऐसी सजा मिले, जो दूसरों के लिए भी सबक बने।

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