संस्कारों की डोर

अभी सीमा-सचिन प्रकरण नहीं सुलझा था कि अंजू नामक भारतीय महिला पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली गई

अंजू से संबंधित अब तक जो भी ख़बरें आई हैं, उनसे मामला और उलझ गया है

हाल में भारत-पाक में कुछ लोगों के बीच सोशल मीडिया के जरिए 'प्रेम-प्रसंग' और परिवार को बिना बताए वैध/अवैध तरीके से दूसरे देश में जाने की घटनाएं कई सवाल खड़े करती हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय तो है ही, उस परिवार के लिए भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है, जिसका कोई सदस्य सरहद पार चला जाता है। फिर ख़बर आती है कि उसने वहां शादी कर ली! 

अभी सीमा-सचिन प्रकरण नहीं सुलझा था कि अंजू नामक भारतीय महिला पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली गई। सीमा के चार बच्चे हैं, जिन्हें वह साथ लेकर आई। उसका पति सऊदी अरब में नौकरी करता है। जबकि अंजू अपने दोनों बच्चों को भारत में ही छोड़कर चली गई। उसका पति यहीं एक कंपनी में काम करता है। 

अंजू से संबंधित अब तक जो भी ख़बरें आई हैं, उनसे मामला और उलझ गया है। कभी पाकिस्तानी मीडिया में खबर आती है कि वहां उसने अपने पुरुष मित्र नसरुल्ला से शादी कर ली, कभी खबर आती है कि शादी नहीं की। इधर, सीमा कह रही है कि उसका अपने पति से तलाक हो चुका है और वह सचिन से शादी करना चाहती है। जबकि उसका पति यह दावा कर रहा है कि दोनों की शादी बरकरार है। 

पूर्व में भी ऐसे कुछ मामले सामने आ चुके हैं। प्राय: उनमें सोशल मीडिया की भूमिका रही है। ऐसा देखा गया है कि लोग सोशल मीडिया के जरिए बातचीत शुरू करते हैं। धीरे-धीरे घनिष्ठता बढ़ जाती है। फिर एक दिन खबर आती है कि सरहद पार से कोई आया/आई है, अब एक नई 'प्रेमकथा' लिखी जाएगी! 

सवाल है- सोशल मीडिया के जरिए बातचीत कर किसी पर इतना विश्वास कर लेना कहां तक उचित है कि उसके साथ ज़िंदगी बिताने के लिए अपनी घर-गृहस्थी दांव पर लगा दी जाए? क्या यह मर्यादा की दृष्टि से उचित है? इसके नतीजे बहुत खतरनाक हो सकते हैं। खासतौर से तब, जब पड़ोसी देश पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों का इतना ज्यादा बोलबाला है।

सीमा और अंजू के मामले इतने ज्यादा चर्चित होने के बाद कुछ लोगों को यह 'भ्रम' हो सकता है कि सरहद पार जाना बहुत आसान है। वे भी ऐसा कर मशहूर हो जाएंगे, उनके भी टीवी पर इंटरव्यू आएंगे! सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणियों की भरमार है, जिनमें कुछ युवा इस बात को लेकर 'पछतावा' कर रहे हैं कि उन्होंने पब्जी गेम नहीं खेला! 

आज किशोरों, युवाओं पर सोशल मीडिया का इतना गहरा असर है कि वे उस पर मिलने वाले लोगों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। हाल में राजस्थान के जयपुर हवाईअड्डे पर सुरक्षाकर्मियों को एक लड़की पर संदेह हुआ तो उन्होंने उससे पूछताछ की। उसके पास 'ज़रूरी काग़ज़ात' नहीं थे और वह अपने इंस्टाग्राम दोस्त से मिलने पाकिस्तान जाने के लिए हवाईअड्डे पर आई थी। लड़की नाबालिग थी। इंस्टाग्राम पर उसका पाकिस्तानी 'दोस्त' उसे बुला रहा था। लड़की ने सोचा कि 'जब सीमा, अंजू के मामले में सरहद पार जाना संभव था, तो वह भी पाकिस्तान चली जाएगी!' 

यह देश में क्या हो रहा है? क्या कोरी भावुकता के आधार पर ऐसा फैसला लेने वाले यह नहीं सोचते कि इससे वे गंभीर संकट में फंस सकते हैं? ऐसे मामलों के पीछे एक बड़ा कारण पारिवारिक माहौल हो सकता है। 

आज परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत कम होने लगी है। हर किसी के पास अपना मोबाइल फोन है। पहले रात्रि भोजन के समय सब लोग साथ बैठते थे। आज कई परिवारों में यह परंपरा लुप्त हो चुकी है। मोबाइल फोन की आभासी दुनिया से ही फुर्सत नहीं है। ऐसे में कौन किससे बातचीत कर रहा है, क्या सर्च कर रहा है, क्या अपलोड/डाउनलोड कर रहा है ... की जानकारी नहीं है। देश-विदेश के लोगों से बातचीत हो रही है, लेकिन परिवार के अंदर संवादहीनता जन्म ले रही है!

निस्संदेह तकनीक आज की अनिवार्यता है। पढ़ाई-लिखाई हो या घरेलू कामकाज या नौकरी आदि, इस पर निर्भरता बढ़ रही है और भविष्य में बढ़ेगी, लेकिन इसका आदी होकर अपना घर-परिवार उजाड़ देना, अजनबी विदेशियों को अपना सबकुछ मान लेना और उनके साथ ज़िंदगी बिताने का इरादा कर मर्यादाएं भूल जाना उचित नहीं है। ऐसे मामलों में सरकारें, जांच एजेंसियां, अदालतें अपना काम करेंगी। साथ ही परिवारों को भी ध्यान देना होगा। उन्हें संस्कारों की डोर मजबूत करनी होगी। संवादहीनता खत्म करनी होगी।

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