नई दिल्ली/दक्षिण भारत/भाषा। उच्चतम न्यायालय में मणिपुर की उन दो महिलाओं की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई, जिन्हें एक वीडियो में कुछ लोगों द्वारा निर्वस्त्र करके परेड कराते हुए देखा गया था।
इससे पहले खबर आई थी कि मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई करेगी।
जब मामला सुनवाई के लिए आया तो दोनों महिलाओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने मामले में एक याचिका दायर की है।
शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वह हिंसाग्रस्त मणिपुर की इस घटना से बहुत दुखी है और हिंसा के लिए औजार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना एक संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लेने के बाद केंद्र और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि तत्काल उपचारात्मक, पुनर्वास और रोकथाम संबंधी कदम उठाए जाएं और उसे कार्रवाई से अवगत कराया जाए।
मणिपुर में 4 मई की घटना का यह वीडियो सामने आने के बाद राज्य में तनाव पैदा हो गया था।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।