स्वास्थ्य विशेषज्ञों या चिकित्सकों के रूप में किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करते समय मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसरों के लिए अपनी मूल स्थिति के बारे में ‘खुलासा या घोषणा’ को जरूरी करने संबंधी प्रावधान आवश्यक हैं। आज जिस तरह सोशल मीडिया का विस्तार हो रहा है, उसके मद्देनज़र लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए इनकी प्रासंगिकता बढ़ जाती है।
इस संबंध में पर्याप्त सावधानी बरती जाए। अभी स्थिति यह है कि विज्ञापन और 'उपयोगी टिप्स' के नाम पर सही-ग़लत, हर तरह की जानकारी धड़ल्ले से चल रही है। इस सूरत में मान्यता-प्राप्त संस्थानों से प्रमाण-पत्र पाने वाले चिकित्सकों, स्वास्थ्य एवं फिटनेस विशेषज्ञों को भी जानकारी साझा करते समय या उत्पादों या सेवाओं का प्रचार करते या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय यह ‘खुलासा’ करना जरूरी होना चाहिए कि वे प्रमाणित स्वास्थ्य या फिटनेस विशेषज्ञ और चिकित्सक हैं।
चूंकि आम जनता मशहूर लोगों की 'सलाह' पर बहुत जल्दी विश्वास कर लेती है। अगर कोई व्यक्ति यह सलाह देता है कि अमुक उत्पाद आपके पाचन तंत्र को विभिन्न रोगों से बचाकर स्वस्थ रखेगा, शरीर के अन्य अंगों को भी लाभ पहुंचाएगा तो देखना जरूरी है कि वह किस आधार पर यह सलाह दे रहा है! उसकी स्थिति तो स्पष्ट होनी चाहिए। ऐसे दिशा-निर्देशों से भ्रामक विज्ञापनों, निराधार दावों से निपटना और स्वास्थ्य एवं कल्याण के समर्थन में पारदर्शिता रखना आसान होगा। यह नौ जून, 2022 के भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का ही विस्तार है।
उपभोक्ता मंत्रालय ने उचित ही कहा है कि खुद को स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सक के तौर पर पेश करने वाली हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसरों को कोई भी जानकारी साझा करते, उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापन या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय एक स्पष्ट घोषणा देनी होगी, ताकि दर्शक उनकी राय को पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में न देखें।
मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सक के रूप में पेश होते समय मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली लोगों और डिजिटल इंफ्लूएंसरों को अपनी निजी राय और पेशेवर सलाह के बीच स्पष्ट अंतर रखने और ठोस तथ्यों के बगैर खास तरह के स्वास्थ्य दावे करने से बचने की नसीहत देना भी स्वागत-योग्य है। इससे लोगों के लिए संबंधित उत्पाद या सलाह को लेकर अधिक स्पष्टता होगी। हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बहुत ही संवेदनशील मामला है। अगर वह ग़ैर-ज़रूरी / ग़लत सलाह पर विश्वास कर ले और उसे गंभीर नुकसान हो जाए तो किसकी जिम्मेदारी होगी?
इसी साल जून में एक चीनी युवती ने वजन घटाने संबंधी सलाह पर 'अमल' करते हुए जान गंवा दी थी। उसके बाद स्थानीय प्रशासन ने वजन घटाने का दावा करने वाले शिविरों और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसरों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी थी। भारत में भी बहुत लोग डिजिटल इंफ्लूएंसरों के टिप्स पर काफी विश्वास करते हैं। इसलिए यहां विशेषज्ञता का होना सुनिश्चित करना चाहिए।
एक युवती, जो सोशल मीडिया पर उपलब्ध सौंदर्य संबंधी जानकारी में रुचि रखती थी, ने किसी चैनल के मशहूर डिजिटल इंफ्लूएंसर की सलाह पर कुछ खास चीजों से एक लेप तैयार किया। जब उसे चेहरे पर लगाया तो त्वचा को नुकसान हो गया।
इसी तरह अल्सर के एक रोगी ने बताया कि उसने किसी डिजिटल इंफ्लूएंसर की सलाह पर ऐसा पेय तैयार किया, जिसे पीने से आराम मिलने का दावा किया गया था। जब उसने पेय का सेवन किया तो दर्द ज्यादा होने लगा।
फिर उसने एक अनुभवी वैद्य से परामर्श लिया तो पता चला कि डिजिटल इंफ्लूएंसर ने विधि सही बताई थी, लेकिन सामग्री में एक चीज़ ग़लत बता दी। उसके मिश्रण से मामला बिगड़ गया। उन्होंने रोगी को सही औषधि दी, जिससे वह स्वस्थ हुआ। इसलिए बेहतर यही होगा कि स्वास्थ्य संबंधी मामलों में सलाह / प्रचार के लिए विशेषज्ञों को प्राथमिकता दी जाए और वे तथ्यों के साथ सच्चाई सामने रखें।