वैश्विक समस्याओं के समाधान में धार्मिक नेता दे सकते हैं अहम योगदान: लोकेश मुनि

लोकेश मुनि विश्व के उन कुछ धार्मिक नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पूर्ण सत्र में वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया है

पांच दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों से करीब 10,000 प्रतिनिधि शामिल होंगे

वॉशिंगटन/भाषा। जैन समुदाय के प्रतिष्ठित धार्मिक नेता आचार्य लोकेश मुनि ने कहा है कि दुनिया के प्रमुख धर्मों एवं आस्थाओं के नेता मानवता के सामने मौजूद यूक्रेन युद्ध जैसी बड़ी चुनौतियों का समाधान करने और स्थायी शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

आचार्य मुनि ने 14 अगस्त से 18 अगस्त तक शिकागो में होने वाली 2023 विश्व धर्म संसद से पहले साक्षात्कार में कहा, ‘मैं शिकागो में यही संदेश लेकर पहुंचा हूं।’

इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में 80 देशों से करीब 10,000 प्रतिनिधि शामिल होंगे। लोकेश मुनि विश्व के उन कुछ धार्मिक नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पूर्ण सत्र में वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया है।

आचार्य मुनि ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि विश्व के नेता शांतिपूर्ण एवं समृद्ध समाज एवं दुनिया के लिए एक रूपरेखा तैयार करें।’

उन्होंने कहा कि विश्व के प्रमुख धर्मों और आस्थाओं के नेता मानवता के सामने मौजूदा प्रमुख चुनौतियों को हल करने और ऐसे समय में स्थायी शांति लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, तब यूक्रेन में युद्ध जारी है।

जैन मुनि ने कहा कि मानवता जिन समस्याओं से जूझ रही है, उनमें से किसी का भी समाधान युद्ध, हिंसा एवं आतंक नहीं है तथा सभी मतभेदों एवं विवादों को वार्ता के जरिए सुलझाया जा सकता है।

उन्होंने युक्रेन में जारी युद्ध के संदर्भ में कहा कि वर्षों के युद्ध के बाद भी जंग केवल वार्ता के जरिए ही समाप्त होती है, तो ‘इंतजार क्यों करना? वार्ता और कूटनीति को अभी शुरू किया जाए।’

लोकेश मुनि ने कहा, ‘युद्ध समाप्त करने के लिए वार्ता अहम है। मेरी अगले सप्ताह विश्व धर्म संसद में इस मामले को उठाने की योजना है।’

वे पिछले कुछ महीनों से अमेरिका के विभिन्न स्थानों की यात्रा पर हैं।

उन्होंने कहा कि बंदूक हिंसा की समस्या के समाधान के लिए नैतिक और मूल्य-आधारित शिक्षा अहम है तथा इसे प्राथमिक विद्यालय के स्तर से शुरू किया जाना चाहिए।

लोकेश मुनि ने कहा कि बंदूकों पर प्रतिबंध बंदूक हिंसा का दीर्घकालीन समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को हालिया संवाद में यही संदेश दिया था।

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