लाहौर/दक्षिण भारत। पाकिस्तान में बुधवार को फैसलाबाद जिले के जरनवाला शहर में ईशनिंदा की एक कथित घटना के बाद सैकड़ों लोगों की हिंसक भीड़ ने कई चर्चों में तोड़फोड़ की और उनमें आग लगा दी। इसके अलावा ईसाई समुदाय के घरों और स्थानीय सहायक आयुक्त के कार्यालय पर भी हमला किया।
जिला प्रशासन ने सात दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी है, जिसमें सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को छोड़कर सभी प्रकार की सभा पर रोक लगा दी गई है। इस बीच, पंजाब सरकार ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री द्वारा जारी आदेशों के अनुरूप घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाने के निर्देश जारी किए हैं।
पुलिस और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हिंसा तब भड़की, जब कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि जरनवाला में सिनेमा चौक पर एक घर के पास धर्मग्रंथ के कई पन्ने पाए गए, जहां दो ईसाई भाई रहते थे।
उसके बाद अफवाहें जरनवाला में जंगल की आग की तरह फैल गईं, जब आरोप लगाने वाले लोग विभिन्न मस्जिदों में पहुंचे, जहां से लोगों को घटना पर अपनी 'प्रतिक्रिया' दिखाने के लिए उकसाने के वास्ते घोषणाएं की गईं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, स्थिति तब और अधिक बिगड़ गई, जब तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्य सड़कों पर उतरे, मस्जिदों और अन्य स्थानों से सार्वजनिक घोषणाएं कीं और लोगों को कथित घटना स्थल पर पहुंचने के लिए उकसाया। जल्द ही, एक भीड़ उन दो व्यक्तियों के घर के बाहर जमा हो गई - जो तब तक खाली हो चुके थे - और आग लगा दी, जिससे हिंसक घटनाओं की बाढ़ आ गई।
इस घटना के बाद लोग जरनवाला शहर में इकट्ठा होने लगे और एक उग्र भीड़ में बदल गए, जिसने कथित तौर पर दो चर्चों पर हमला किया - एक कैथोलिक और दूसरा साल्वेशन आर्मी से संबंधित था। भीड़ ने आसपास के दो इलाकों में, मुख्य सिटी रोड पर चक 127-जीबी के पास और चक 126-जीबी, ब्रिज कॉलोनी, शहरवाना नहर के पास - जिसे क्रिश्चियन कॉलोनी भी कहा जाता है, में कई ईसाई घरों पर हमला किया और उन्हें जला दिया।
इस बीच, ईसाई समुदाय के नेताओं ने कहा कि भीड़ ने तीन अन्य चर्चों को भी आग लगा दी और उन घरों से कीमती सामान लूट लिया, जिन्हें उनके मालिकों ने हिंसा के डर से छोड़ दिया था।
जरनवाला के पादरी इमरान भट्टी ने कहा कि भीड़ ने इलाके में कुल पांच चर्चों में तोड़फोड़ की और उन्हें जला दिया, जिनमें ईसा नगरी में स्थित यूनाइटेड प्रेस्बिटेरियन चर्च, एलाइड फाउंडेशन चर्च और शहरूनवाला चर्च शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने एक स्थानीय ईसाई कब्रिस्तान को भी नहीं बख्शा, जहां कब्रों को तोड़ दिया गया और उसकी चारदीवारी के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया गया।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो क्लिप और तस्वीरों में कुछ चर्च की इमारतों से आग की लपटें और धुआं निकलता हुआ दिखाई दे रहा है, लोग फर्नीचर को आग लगा रहे हैं और एक चर्च की इमारत से क्रूस के प्रतीक को हटा रहे हैं।
उग्र भीड़ ने जरनवाला के सहायक आयुक्त शौकत मसीह के कार्यालय पर भी हमला किया और तोड़फोड़ की, जो पहले ही वहां से जा चुके थे। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने इंटरचेंज पर फैसलाबाद-अब्दुल हकीम एम-3 मोटरवे को भी यातायात के लिए अवरुद्ध कर दिया।
ईसाई नेताओं ने पूरे प्रकरण के दौरान पुलिस की निष्क्रियता की कड़ी निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि जब ईसाई परिवार मदद के लिए चिल्ला रहे थे तो पुलिस ने मूक दर्शक की भूमिका निभाई और अपनी प्रतिक्रिया में तब तक देरी की, जब तक कि निवासियों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया गया।
सोशल मीडिया पर कुछ कार्यकर्ताओं ने भेदभाव दिखाने के लिए पंजाब पुलिस की आलोचना की, क्योंकि ईसाई संदिग्धों के खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया गया, लेकिन चर्चों में तोड़फोड़ करने वालों और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के घर पर हमला करने वालों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी।
हिंसा की घटनाओं के बाद पाकिस्तानी पंजाब सरकार ने जरनवाला एसी शौकत मसीह को उनके पद से हटा दिया और उन्हें विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) बना दिया। सूत्रों ने कहा कि एसी, जो एक ईसाई भी हैं, को हिंसक प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए ओएसडी बनाया गया, जो सरकार पर अधिकारी को तुरंत स्थानांतरित करने के लिए दबाव डाल रहे थे।