पाकिस्तान: दो समूहों के बीच छिड़ी हिंसा के बाद इलाका छोड़ने को मजबूर हुए हिंदू

तीन लोगों की मौत, 10 घायल

मेंगल जनजाति के दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच चल रही भीषण गोलीबारी

क्वेटा/दक्षिण भारत। पाकिस्तान में खुजदार जिले के वाध इलाके में मेंगल जनजाति के दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच चल रही भीषण गोलीबारी के कारण अल्पसंख्यकों सहित बड़ी संख्या में लोग बलोचिस्तान के अन्य क्षेत्रों में चले गए हैं। इस दौरान तीन लोग मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए हैं।

सरवन जनजातियों के प्रमुख नवाब असलम रायसानी और अन्य आदिवासी बुजुर्गों द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप दोनों समूहों ने पिछले सप्ताह जिस संघर्ष विराम पर सहमति व्यक्त की थी, उसे तोड़ दिया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम तोड़ने के बाद, दोनों पक्ष पिछले एक सप्ताह से एक-दूसरे के खिलाफ भारी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके कारण सभी बाजार, दुकानें और व्यापार केंद्र बंद हो गए और वाध शहर तथा इसके आसपास के इलाकों में भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई। 

इससे यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ, क्योंकि जब प्रतिद्वंद्वी समूहों ने एक-दूसरे पर रॉकेट और मोर्टार के गोले दागे तो स्थानीय प्रशासन के पास खुजदार-कराची राजमार्ग को बंद करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।

स्थानीय आबादी ने अपनी जान बचाने और लगातार गोलीबारी के कारण किसी बड़े नुकसान से बचने के लिए दूसरे क्षेत्रों में जाना शुरू कर दिया है।

ज़्यादातर हिंदू व्यापारी वाध छोड़ रहे हैं, क्योंकि सभी बाज़ार बंद होने के कारण उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि बड़ी संख्या में परिवार अपनी जान बचाने के लिए बलोचिस्तान और सिंध के दूसरे शहरों में चले गए। हिंदू समुदाय के अधिकतर लोग वाध से चले गए हैं। वाध में हिंदुओं के लगभग 300 परिवार रहते थे, लेकिन अब उनमें से अधिकांश खुजदार, हब और बेला के अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गए। ।

उन्होंने कहा कि सरदार अख्तर मेंगल और शफीक मेंगल के समर्थकों के बीच एक सप्ताह के संघर्ष विराम के दौरान बाजार और व्यापारिक केंद्र खुले थे, लेकिन अब फिर से उन्हें बंद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन को आगे आना चाहिए और इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।

वाध में बिगड़ते हालात को देखते हुए शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें क्षेत्र में भोजन की कमी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, हालांकि परिवारों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित करने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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