बेंगलूरु/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह बेंगलूरु में इसरो के नेटवर्क कमांड सेंटर पहुंचे। यहां उन्होंने इसरो टीम से मुलाकात कर सबको चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की बधाई दी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आप सभी के बीच आकर आज एक अलग ही खुशी महसूस कर रहा हूं। शायद ऐसी खुशी बहुत दुर्लभ अवसरों पर होती है, जब ऐसी घटनाएं होती हैं कि बेसब्री हावी हो जाती है। इस बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं भारत आते ही जल्द से जल्द आपके दर्शन करना चाहता था। आप सबको सैल्यूट करना चाहता था। सैल्यूट आपके परिश्रम को, सैल्यूट आपके धैर्य को, सैल्यूट आपकी लगन को, सैल्यूट आपके जज्बे को। आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हैं, यह कोई साधारण सफलता नहीं है। यह अनंत अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक सामर्थ्य का शंखनाद है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत चांद पर है। हमारा राष्ट्रीय गौरव चांद पर रखा गया है। हम वहां पहुंचे, जहां कोई नहीं पहुंचा था। हमने वो किया, जो पहले कभी किसी ने नहीं किया। यह आज का भारत है। निर्भीक और जुझारू। यह वो भारत है, जो नया सोचता है, नए तरीके से सोचता है। जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी आंखों के सामने 23 अगस्त का वह दिन, वह एक-एक सेकंड बार-बार घूम रहा है। जब टच डाउन कन्फर्म हुआ तो जिस तरह यहां इसरो सेंटर में, पूरे देश में लोग उछल पड़े, वह दृश्य कौन भूल सकता है! कुछ स्मृतियां अमर हो जाती हैं। वह पल अमर हो गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय को लग रहा था कि विजय उसकी अपनी है। हर भारतीय को लग रहा था, जैसे वह खुद एक बड़े एक्जाम में पास हो गया है। आज भी बधाइयां दी जा रही हैं, संदेश दिए जा रहे हैं और यह सब मेरे देश के वैज्ञानिकों ने मुमकिन बनाया है। मैं आपका जितना गुणगान करूं, कम है, जितनी सराहना करूं, कम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया, भारत की वैज्ञानिक भावना का, हमारी तकनीक का और हमारे साइंटिफिक टेंपरामेंट का लोहा मान चुकी है। चंद्रयान महाभियान सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सफलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का फैसला लिया है। जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिह्न छोड़े हैं, वह प्वाइंट अब 'तिरंगा' कहलाएगा। यह तिरंगा प्वाइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा, यह तिरंगा प्वाइंट हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब हमारी गिनती तीसरी पंक्ति में होती थी। आज ट्रेड से लेकर मकनीक तक, भारत की गिनती पहली पंक्ति में खड़े देशों में हो रही है। तीसरी पंक्ति से पहली पंक्ति तक की इस यात्रा में हमारे 'इसरो' जैसे संस्थानों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब नेशनल स्पेस डे (राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस) के रूप में मनाया जाएगा।