श्रीहरिकोटा/दक्षिण भारत/भाषा। चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने के बाद भारत ने शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ का आगाज कर दिया। यह प्रक्षेपण इसरो के रॉकेट पीएसएलवी के माध्यम से किया गया।
सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
पीएसएलवी सी57 रॉकेट के जरिए गए ‘आदित्य एल1’ के प्रक्षेपण के लिए शुक्रवार को 23.10 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो गई थी।
सूर्य मिशन से संबंधित उपग्रह को शनिवार को पूर्वाह्न 11.50 बजे श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया।
इस मिशन को ऐसे समय भेजा गया है, जब भारत ने गत 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य मिशन को सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसरो के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1’ बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक लाभ प्रदान करेगा।
इसरो ने कहा, इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है।
इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।