वैश्विक स्तर पर भारत का बढ़ता कद देशवासियों के लिए गर्व की बात है। जी20 शिखर सम्मेलन में जिस तरह अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, तुर्किए, कनाडा, इंडोनेशिया समेत सदस्य देशों के शीर्ष राजनेताओं ने शिरकत की और उनके समक्ष विभिन्न बिंदुओं पर मंथन के दौरान सनातन संस्कृति की झलक प्रस्तुत की गई, उसकी पूरी दुनिया में चर्चा है।
आज हर देश देख रहा है कि भारत किस तरह बदल रहा है। हाल में चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर वे देश भी बधाई दे रहे हैं, जो कभी हमारी आर्थिक समस्याओं को लेकर व्यंग्य करते थे, अपमानजनक कार्टून छापते थे।
वहीं, जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी अत्यंत प्रासंगिक और काफी संतुलित थी। उन्होंने समूह के नेताओं के सामने मौजूदा ‘विश्वास की कमी’ को दूर करने और अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था, आतंकवाद तथा खाद्य, ईंधन एवं उर्वरकों के प्रबंधन का ‘ठोस’ समाधान सामूहिक रूप से निकालने का आह्वान कर बता दिया कि हमारी प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिएं। इस शिखर सम्मेलन में 'वसुधैव कुटुंबकम्' का आदर्श, प्रधानमंत्री मोदी के शुरुआती संबोधन के इन शब्दों में झलकता है कि जी20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ‘पूरी दुनिया को एक साथ आने और सबसे पहले 'वैश्विक विश्वास की कमी' को 'वैश्विक विश्वास' और 'भरोसे' में बदलने के लिए आमंत्रित करता है।
मोदी ने उचित ही कहा कि 'कोविड-19 के बाद दुनिया में विश्वास की कमी का बहुत बड़ा संकट आ गया है। संघर्ष ने इस विश्वास की कमी को गहरा कर दिया है। जिस तरह हम कोविड पर काबू पा सकते हैं, उसी तरह हम आपसी विश्वास के इस संकट से भी पार पा सकते हैं। ... यह हम सभी के लिए एक साथ चलने का समय है और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का मंत्र हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है।’
इस शिखर सम्मेलन में समूह के सदस्य देशों द्वारा ‘नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ को सर्वसम्मति के साथ अपनाया जाना भी भारत के लिए बड़ी सफलता है। मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन का आरंभ करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत मोरक्को में आए भीषण भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करके की, जिससे यह संदेश गया कि भारत 'पूरी धरती को अपना परिवार' तो मानता ही है, इस वाक्य को जीता भी है।
मोरक्को में विनाशकारी भूकंप से अब तक 2,000 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। लगभग इतने ही लोग घायल हुए हैं। कई जगह इमारतें पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं। इस भूकंप ने फरवरी में तुर्किए में आए भूकंप की यादें ताजा कर दीं। वहां भारतीय बचाव एवं राहत दल ने अत्यंत प्रशंसनीय कार्य किया था, जिसे तुर्किए के लोग कभी नहीं भूल सकते। मोरक्को के अनुरोध पर भारत उसकी भी बड़े स्तर पर सहायता कर सकता है।
आज प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के अनुकूल ईंधन ... समेत कई चुनौतियां हैं, जिनकी ओर ध्यान देकर प्रभावी समाधान तलाशने की जरूरत है। रूस-यूक्रेन युद्ध भी बहुत लंबा खिंच गया, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। अगर जी20 जैसे शिखर सम्मेलनों के माध्यम से गंभीरता से प्रयास किए जाएं तो शांति की राह निकल सकती है, लेकिन कुछ देशों का रवैया समन्वय पैदा करने में बाधक है।
इस सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने शिरकत की थी, जिनसे उनके ब्रिटिश समकक्ष ऋषि सुनक ने (सम्मेलन से इतर) मुलाकात कर 'ब्रिटेन की जासूसी संबंधी चिंताओं' से अवगत करा दिया। दरअसल चीन काफी समय से यूरोप में अपना जासूसी नेटवर्क मजबूत करने में जुटा है। दो लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोपों संबंधी खुलासे के बाद सुनक ने ली क्विंग के समक्ष ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में चीनी हस्तक्षेप का मुद्दा उठाकर बता दिया कि उनकी 'गतिविधियों' पर ब्रिटिश एजेंसियों की कड़ी नजर है।
सुनक ने अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति के साथ बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में दर्शन भी किए, जिसकी देश-विदेश के मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। एक समय था, जब शीर्ष राजनेता ऐसे आयोजनों के दौरान सनातन संस्कृति के प्रति अपना अनुराग खुलकर व्यक्त नहीं करते थे। आज संपूर्ण आयोजन पर सनातन की छाप स्पष्ट नजर आ रही है। यह भी हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है।