हनीट्रैप: सतर्क रहना जरूरी

क्या आईएसआई पंजाब और पश्चिम बंगाल में अपना नेटवर्क खड़ा करने की कोशिश कर रही है?

हाल के वर्षों में आईएसआई द्वारा भारत में हनीट्रैप के कई मामले बहुचर्चित रहे हैं

देश में हनीट्रैप के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत चिंता का विषय है। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सोशल मीडिया ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के नापाक हथकंडों के लिए भी काफी आसानी पैदा कर दी है, जिसकी प्रशिक्षित महिला एजेंट सरहद पार बैठकर भारतीय नागरिकों को अपने जाल में फंसा रही हैं। 

हाल में एक केंद्रीय एजेंसी ने पंजाब पुलिस को भेजे अलर्ट में कहा था कि आईएसआई सोशल मीडिया पर महिलाओं की प्रोफाइल बनाकर भारतीय अधिकारियों को फंसाने के लिए जाल बिछा रही है। यह बहुत गंभीर विषय है, लिहाजा हर नागरिक को इसके बारे में जानकारी होनी ही चाहिए। हाल के वर्षों में आईएसआई द्वारा भारत में हनीट्रैप के कई मामले बहुचर्चित रहे हैं। इनमें आम लोगों से लेकर प्रतिभाशाली वैज्ञानिक तक पाकिस्तानी हसीनाओं के शिकार होते देखे गए। 

इनके निशाने पर सुरक्षा बलों से जुड़े कर्मी तो हैं ही, उन राज्यों के लोगों पर भी जाल फेंका जा रहा है, जिनकी पाकिस्तान से सीमा लगती है। भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे में काफी सफलता मिल चुकी है। पाकिस्तान भी समझ चुका है कि यहां आतंकवाद को परवान चढ़ाने के लिए किया गया उसका 'निवेश' डूब चुका है। ऐसे में वह पंजाब में यही दांव आजमाना चाहता है, जो पहले भी आजमा चुका है। 

यहां हनीट्रैप करना तुलनात्मक रूप से आसान भी है, क्योंकि पंजाब का एक हिस्सा पाकिस्तान में है। दोनों तरफ भाषा, खान-पान, पहनावे आदि में कई समानताएं हैं। आईएसआई की किसी पंजाबी महिला एजेंट को यहां 'संपर्क' साधने में उतनी कठिनाई नहीं होगी, जितनी कि उत्तर-पूर्व या दक्षिण के किसी राज्य के निवासी से 'संपर्क' में हो सकती है। 

विभिन्न रिपोर्टें बताती हैं कि आईएसआई इन महिला एजेंटों को हिंदू या सिक्ख नाम देकर उनके भाषा संबंधी कौशल में बहुत सुधार करती है, ताकि उन पर जरा-सा भी शक न हो।

यही नहीं, उनका पहनावा बहुत सोच-समझकर तैयार किया जाता है। आमतौर पर हिंदू या सिक्ख महिलाएं जो सौभाग्य चिह्न धारण करती हैं, उनका भी उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। हनीट्रैप के लिए जिस कमरे का इस्तेमाल होता है, वहां हिंदू देवी-देवताओं, गुरुओं के चित्र लगाए जाते हैं। दीपक, धूपबत्ती, फूलमाला आदि से सुसज्जित 'पूजन स्थल' को देखकर कोई भी व्यक्ति भ्रमित हो सकता है। 

पिछले दिनों कोलकाता से एक व्यक्ति को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उससे संवेदनशील दस्तावेज बरामद किए गए थे। रिपोर्टों के मुताबिक, वह भी हनीट्रैप के जरिए पाकिस्तानी महिला एजेंट का शिकार हुआ था। एजेंट ने उससे हिंदू महिला के नाम के साथ सोशल मीडिया पर संपर्क किया था। वह व्यक्ति धीरे-धीरे उसके मोहपाश में आ गया और उसके द्वारा मांगी गईं संवेदनशील सूचनाएं भेजने लगा। आखिरकार कोलकाता पुलिस ने उसे धर दबोचा। 

सवाल है- क्या आईएसआई पंजाब और पश्चिम बंगाल में अपना नेटवर्क खड़ा करने की कोशिश कर रही है? चूंकि दोनों राज्य अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित हैं। पंजाब के साथ तो पाकिस्तान की सीमा लगती है, वहीं पश्चिम बंगाल के साथ बांग्लादेश की सीमा लगती है। सोलह दिसंबर, 1971 तक आज का बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। आज भी वहां आईएसआई के समर्थक मौजूद हैं।

कई बांग्लादेशी संगठनों के ऐसे पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों से संबंध हैं, जो भारत में आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। लिहाजा केंद्रीय एजेंसियों और संबंधित राज्य पुलिस को ऐसे तत्त्वों पर कड़ी नजर रखते हुए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, जो धन और रूप के जाल में फंसकर देश के रहस्यों का सौदा कर रहे हैं। 

पंजाब पुलिस के महानिदेशक ने जिन संदिग्ध सोशल मीडिया प्रोफाइलों की सूची जारी की थी, वे दर्जनभर थीं। वहीं, एक पखवाड़े में जिन लोगों से संपर्क किया गया, उनकी संख्या 325 से भी ज्यादा थी। आसान शब्दों में कहें तो पाकिस्तानी एजेंट (महिला या पुरुष) एक आईडी बनाकर उससे अनेक लोगों को जाल में फंसाने की कोशिश कर सकता है। 

जब तक 'शिकार' को उसकी असलियत मालूम होती है, बहुत देर हो जाती है। इसलिए सोशल मीडिया पर ऐसे किसी भी 'मोहपाश' से दूर रहें और अनजान लोगों के साथ 'दोस्ती' करने से परहेज ही करें।

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