अमेरिका: विवेक रामास्वामी ने इस कार्यक्रम को खत्म करने का वादा किया

प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों पेशेवरों की भर्ती करने के लिए इसी वीजा कार्यक्रम पर निर्भर हैं

रामास्वामी ने खुद इस कार्यक्रम का 29 बार प्रयोग किया है

वॉशिंगटन/भाषा। अमेरिका में भारतीय मूल के रिपब्लिकन से राष्ट्रपति पद उम्मीदवार के दावेदार विवेक रामास्वामी ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम को ‘अनुबंधित दासता की स्थिति’ बताते हुए साल 2024 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद लॉटरी-आधारित प्रणाली को ‘खत्म’ करने और इसके स्थान पर योग्यता आधारित प्रवेश प्रणाली लाने का वादा किया है।

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय एच-1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को ऐसे पदों पर नियुक्ति का अधिकार देता है जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है।

प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों पेशेवरों की भर्ती करने के लिए इसी वीजा कार्यक्रम पर निर्भर हैं।

रामास्वामी ने खुद एच-1बी वीजा कार्यक्रम का 29 बार प्रयोग किया है।

समाचार-पत्र ‘द पोलिटिको’ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 से 2023 में अब तक अमेरिका नागरिक एवं आव्रजन सेवा ने कर्मियों को एच-1बी वीजा कार्यक्रम के अंतर्गत भर्ती करने के लिए रामास्वामी की पूर्व कंपनी रॉइवेंट साइंस को 29 बार मंजूरी दी है।

फिर भी, समाचार-पत्र ने 38 वर्षीय उद्यमी के हवाले से कहा, एच-1बी प्रणाली ‘इसमें शामिल सभी लोगों के लिए खराब है।’

रामास्वामी ने फरवरी 2021 में रॉइवेंट के मुख्य कार्यकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वह इस साल फरवरी तक कंपनी के निदेशक मंडल के चेयरमैन रहे थे।

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