आर्थिक रूप से तबाही के कगार पर खड़े पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने अतीत से कोई सबक नहीं लिया। उसकी आतंकी हरकतों में लगातार बढ़ोतरी के मद्देनज़र भारत की ओर से कठोर कार्रवाई को अंजाम दिया जाना बहुत जरूरी हो गया है। उसने जम्मू-कश्मीर के कोकेरनाग वन क्षेत्र में जो कायराना हमला किया है, उसे भारत क्षमा नहीं करेगा। हमें अपने उन वीर सैनिकों पर गर्व है, जिन्होंने देशवासियों की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी और भारत मां की गोद में चिरनिद्रा में सो गए। हम अपने इन भाइयों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
आज भारत जिस तरह प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है, अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों में कीर्तिमान रच रहा है, जी20 के शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन कर वैश्विक शक्तियों के बीच अपनी साख और धाक जमा चुका है, इस्लामी देशों को अपने पक्ष में कर चुका है, उससे चीन और पाकिस्तान के सीने पर सांप लोट रहे हैं।
चीन नहीं चाहता कि दुनिया में भारत का रुतबा बढ़े, इसलिए वह पाकिस्तान की ओर चंद टुकड़े फेंक कर उसे उकसा रहा है। पाक अपने आतंकवादियों का ब्रेन वॉश कर देता है, इसलिए वे मुफ्त में मरने के लिए एलओसी पर आ जाते हैं। हाल में भारतीय सुरक्षा बलों ने जिन आतंकवादियों को ढेर कर उनके कब्जे से सामग्री और हथियार बरामद किए, उससे साफ पता चलता है कि उन्हें चीन पूरा सहयोग दे रहा है।
भारतीय सुरक्षा बलों ने बारामूला जिले में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिश करते तीन आतंकवादियों को धराशायी कर बहुत बहादुरी का काम किया है, जिसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए। अगर आतंकवादी दुर्गम इलाकों और भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाकर इस ओर आ जाते तो बड़ी वारदात को अंजाम देने की कोशिश करते।
कोकेरनाग मुठभेड़ के बाद यूट्यूब चैनलों पर भारत की ओर से कुछ लोग रक्षा मामलों के 'विशेषज्ञ' बन गए हैं! ये पाकिस्तान के कथित पत्रकारों के यूट्यूब चैनलों पर भी जा रहे हैं और उक्त घटना का जिक्र कर सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसी कार्रवाई की संभावना की बात कर रहे हैं। यह कितना ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैया है! क्या वे नहीं जानते कि इन चैनलों पर पाकिस्तान की आईएसआई और उसकी सैन्य खुफिया एजेंसियां नजर रखती हैं? क्या वे इस तरह अपने शत्रु को यह संकेत नहीं दे रहे कि भारत का अगला कदम क्या हो सकता है?
निस्संदेह ये लोग भी देशप्रेमी हैं, लेकिन उन्हें ऐसे समय में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कोई भी बात कहते हुए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। बेहतर तो यह होगा कि पाकिस्तानी यूट्यूबर्स के किसी चैनल पर न जाएं। वहीं, भारत में चैनलों पर परस्पर चर्चा करें तो सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक या अन्य किसी संभावित कार्रवाई के जिक्र से परहेज करें और न ही सुरक्षा बलों से ऐसी कार्रवाइयों की मांग करें।
भारतीय सुरक्षा बलों को जब उचित लगेगा, आतंकवादियों और उनके आकाओं पर प्रहार किया जाएगा, लेकिन नागरिकों से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वे सूझबूझ से काम लें, भावुकता में इतने न बह जाएं कि आपको देखकर शत्रु को अगले कदम का एहसास हो जाए। जब बारामूला में मुठभेड़ हो रही थी तो पाकिस्तानी फौज ने आतंकवादियों का सहयोग करने के लिए गोलीबारी की थी।
यह इस बात का प्रमाण है कि पड़ोसी देश की फौज एक ओर तो एलओसी पर युद्ध-विराम समझौते का दिखावा करती है, दूसरी ओर आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए खुद ही उसका उल्लंघन करती है। तो भारत ही इस समझौते का पालन क्यों करे? उसे भी चाहिए कि वह एलओसी पर भरपूर अंगारे बरसाए। वास्तव में भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों आतंकवादियों का खात्मा बड़ी सफलता तो है, लेकिन इससे पाक फौज को खास असर नहीं पड़ रहा।
पाकिस्तान के लिए आतंकवादियों की भर्ती, उनका प्रशिक्षण आदि तुलनात्मक रूप से सस्ता पड़ता है। उनके मारे जाने के बाद किसी तरह की पेंशन आदि नहीं देनी पड़ती। जब पाकिस्तान के फौजी ढेर होंगे, तब उसे महसूस होगा कि आतंकवाद फैलाना कितना महंगा पड़ता है। इसलिए 'सही जगह' पर चोट बहुत जरूरी है।