बेंगलूरु/दक्षिण भारत। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल का एक शानदार उदाहरण बनकर उभरी हैं। ये भारत की पहली स्वदेश निर्मित स्व-चालित सेमी-हाई स्पीड ट्रेन हैं, जो अब विमान जैसे आराम और सुविधा की पर्याय बन गई हैं।
कर्नाटक में वर्तमान में दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें धारवाड़-बेंगलूरु और मैसूरु-बेंगलूरु-चेन्नई के बीच चल रही हैं। जबकि दोनों ट्रेनों को उनकी आधुनिक सुविधाओं, उच्च गति आदि के लिए यात्रियों द्वारा सराह जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इन ट्रेनों को चलाने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों को इस पर बहुत गर्व महसूस होता है कि वे इतिहास निर्माण का हिस्सा हैं, क्योंकि वंदे भारत 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में बड़ा कदम हैं।
लोको पायलट सुरेंद्रन के बेटे हरि ने इस बात पर बेहद खुशी जताई कि उनके पिता को दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत यानी मैसूरु-डॉ. एमजीआर चेन्नई सेंट्रल वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने का अवसर मिला, जिसे प्रधानमंत्री ने नवंबर 2022 में हरी झंडी दिखाई थी।
इसी तरह, लोको पायलट अनीश श्रीनिवास राव की बेटी अनन्या और गंगाधर स्वामी के बेटे हितेश स्वामी ने भी गर्व और खुशी की भावना साझा की कि उनके पिता को अनुभव, कौशल, ज्ञान और सम्मान के लिए इस प्रमुख ट्रेन को चलाने की जिम्मेदारी दी गई है।
हितेश स्वामी ने यह भी बताया कि वे अपने पिता को एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं, जो पिछले 35 वर्षों से भारतीय रेलवे की सेवा कर रहे हैं।
बढ़ती मांग के मद्देनजर जल्द ही तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस लाने की तैयारी है। यह ट्रेन बेंगलूरु और हैदराबाद के बीच चलेगी, जो सॉफ्टवेयर, स्टार्ट-अप और प्रौद्योगिकी के लिए जाने जाने वाले दक्षिण भारत के दो तकनीकी शहरों को जोड़ेगी। विभिन्न तकनीकी और परिचालन मापदंडों का आकलन करने के लिए गुरुवार को इस ट्रेन का ट्रायल रन किया गया।
उल्लेखनीय है कि पहली वंदे भारत के लॉन्च के बाद से भारतीय रेलवे ने इसमें उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं को लगातार बेहतर बनाने के लिए यात्रियों और जनता के कई सुझावों, फीडबैक को शामिल किया है।