नई संभावनाएं तलाशें

जलवायु परिवर्तन ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है

पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के प्रयासों में साइकिल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में न्यायाधीशों, महापौर, पुलिस व प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने विश्व कार-मुक्त दिवस (22 सितंबर) को 'छोटे वाहनों' और लोक परिवहन के साधनों का उपयोग कर अनुकरणीय पहल की है। इससे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा। 

आज जिस तरह धरती का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है, कई देशों में समुद्र के तटीय इलाकों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है, फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, उसके मद्देनजर यह बहुत जरूरी है। 

आमतौर पर यह समझा जाता है कि साइकिल, स्कूटर और लोक परिवहन तो साधारण लोगों के लिए हैं, न्यायपालिका और प्रशासन से जुड़े लोग उनका उपयोग नहीं करते। इंदौर के इन पर्यावरणप्रेमियों ने इस धारणा को बदलने की कोशिश की है। विभिन्न क्षेत्रों के अन्य लोगों को भी ऐसा करना चाहिए। 

बेशक सड़कों पर कारों की तादाद का बढ़ना यह बताता है कि देश में समृद्धि बढ़ रही है, आर्थिक विकास हो रहा है। पिछले कुछ दशकों में जिस तरह यह तादाद बढ़ी है, उससे कई समस्याएं पैदा हुई हैं। न केवल भारत में, बल्कि यूरोप, अमेरिका समेत दुनिया के कई इलाकों में ऐसा हुआ है। तेल की खपत से कार्बन उत्सर्जन, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। यातायात का संचालन बड़ी चुनौती बन गया है। 

कई शहरों में तो यह हालत है कि लोगों का काफी समय घर और दफ्तर के बीच बीत जाता है। वे परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में किसी दिन तो हमें गंभीरता से विचार करना होगा और धरातल पर काम करना होगा।

बेशक साल में एक दिन कार का सफर न करने से पर्यावरण को कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इससे अच्छे बदलाव की एक शुरुआत जरूर होती है। यही बदलाव बाद में बड़े स्तर पर दिखाई दे सकता है। धीरे-धीरे कोशिश करते हुए एक महीने और फिर एक पखवाड़े में ऐसा किया जा सकता है। उसके बाद हफ्ते में कोई एक दिन इसके लिए निर्धारित कर सकते हैं। 

यह कोई नामुमकिन काम नहीं है। अगर देशवासी इच्छाशक्ति दिखाएं और अपनी ओर से पहल करने लगें तो दुनिया के लिए मिसाल कायम कर सकते हैं। हाल में सियाम के वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी बढ़ते प्रदूषण स्तर को स्वास्थ्य के लिए चिंता का गंभीर विषय बताकर एथनॉल जैसे पर्यावरण-अनुकूल वैकल्पिक ईंधन और हरित हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एथनॉल, फ्लेक्स फ्यूल, सीएनजी, बायो-सीएनजी, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन जैसी कई वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों की पैरवी कर कार्बन उत्सर्जन कम करने तथा तेल आयात पर भारत की निर्भरता घटाने के लिए ठोस प्रयास जारी रखने पर जोर दे चुके हैं। 

पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के प्रयासों में साइकिल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, लेकिन आज यह काफी हद तक उपेक्षित है। शहरों में साइकिल सवारों के अनुकूल सड़कें मुश्किल से मिलती हैं। तेज रफ्तार से दौड़ते वाहनों के बीच साइकिल सवार को दुर्घटना की आशंका रहती है। अगर सरकारें साइकिल के उपयोग को प्रोत्साहित करें, इस पर सब्सिडी दें, सुरक्षित रास्ता दें और प्रसिद्ध लोग इसका उपयोग करें तो इससे दशकभर में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं। 

यूरोप में साइकिल पर नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। कई कंपनियां तो कारनुमा ऐसे वाहनों को प्रोत्साहित कर रही हैं, जो मूलत: साइकिल के सिद्धांत पर चलते हैं। उनमें आधा-एक दर्जन लोग बैठ सकते हैं। वे अपनी-अपनी सीटों के सामने लगे पेडल चलाते जाते हैं। उनमें से कोई एक व्यक्ति मुख्य सीट संभालता है। 

इस तरह वे 'सामूहिक प्रयासों' से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। न किसी ईंधन की खपत, न कोई शोरगुल, नाम मात्र का रखरखाव और सेहत को भरपूर फायदा! आज धरती मां जिस तरह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है, उसको देखते हुए ऐसे प्रयोगों में नई संभावनाएं तलाशनी होंगी।

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