नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन एक तरह से वसुधैव कुटुम्बकम् की भारत की भावना का प्रतीक बन गया है। मैं यहां आए सभी अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का बहुत-बहुत स्वागत करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश के निर्माण में वहां की कानूनी बिरादरी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में वर्षों से न्यायतंत्र और बार देश की न्याय व्यवस्था के संरक्षक रहे हैं। कानूनी पेशेवरों के अनुभव ने आजाद भारत की नींव को मजबूत करने का काम किया है। आज भारत के प्रति विश्व का जो भरोसा बढ़ रहा है, उसमें भी भारत की न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दिन पहले ही भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पास किया है। नारी शक्ति वंदन कानून भारत में महिला नेतृत्व विकास को नई दिशा और ऊर्जा देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ ही दिन पहले जी20 के ऐतिहासिक आयोजन में दुनिया ने हमारी लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और हमारी कूटनीति की झलक भी देखी। एक महीने पहले आज ही के दिन भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तो सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटारे की व्यवस्था रही है। इस अनौपचारिक व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भी भारत सरकार में मध्यस्थता अधिनियम बनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब खतरे वैश्विक हैं, तो उनसे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए। साइबर आतंकवाद हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देशों के कानूनी ढांचे को भी एक-दूसरे से जुड़ना होगा।