सिद्दरामैया का आरोप: भाजपा और जद (एस) कर रहे कावेरी मुद्दे का राजनीतिकरण

उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन राज्य, इसके लोगों और किसानों के हितों की रक्षा में कभी पीछे नहीं रहा है

उन्होंने कहा, 'जब बारिश की कमी होगी, तो दोनों राज्यों में संकट होगा'

मैसूरु/दक्षिण भारत। विपक्षी भाजपा और जद (एस) पर कावेरी जल विवाद का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने मंगलवार को इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन राज्य, इसके लोगों और किसानों के हितों की रक्षा में कभी पीछे नहीं रहा है।

उन्होंने पड़ोसी तमिलनाडु के साथ विवाद के समाधान के रूप में जल बंटवारे के फॉर्मूले और कावेरी नदी पर मेकेदातु संतुलन जलाशय के निर्माण के महत्त्व को दोहराया।

तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़े जाने के विरोध में मंगलवार को किसानों और कन्नड़ संगठनों द्वारा बुलाए गए तथा भाजपा और जद (एस) द्वारा समर्थित बेंगलूरु बंद का आंशिक असर हुआ। अधिकांश सार्वजनिक सेवाएं सामान्य रूप से काम करती रहीं, लेकिन कई लोग घरों में ही रहे।

सिद्दरामैया ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और जद (एस) कावेरी मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। वे इसे राजनीति के लिए कर रहे हैं, न कि राज्य या इसके लोगों के हित में।' 

यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने और बंद का आह्वान करने का अधिकार है, लेकिन अदालत ने जुलूस और बंद को प्रतिबंधित कर दिया है, और इसलिए धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी कानून को अपने हाथ में न ले और जनता को कोई कठिनाई न हो।

सिद्दरामैया ने कहा, 'उन्हें विरोध करने दीजिए, हम इसके विरोध में नहीं हैं। लेकिन इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह राज्य के हित में नहीं है।'

जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी द्वारा कर्नाटक कांग्रेस को तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक की 'बी टीम' कहने की कथित टिप्पणी पर, सिद्दरामैया ने पूछा कि वे भाजपा (जद-एस की नई गठबंधन सहयोगी) को क्या कहेंगे, जो कि हाल तक तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में थी।

उन्होंने कहा, किसी को राजनीति के लिए ऐसा नहीं बोलना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कावेरी मुद्दे को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है। मैंने इसका स्वागत किया है, लेकिन यह आरोप लगाना कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर विफल रही है, राजनीति है।'

उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार राज्य, राज्य की जनता और किसानों के हितों की रक्षा करने में कभी पीछे नहीं रही है। हमारे लिए सत्ता महत्त्वपूर्ण नहीं है, लोगों का हित महत्त्वपूर्ण है। हम इसमें दृढ़ता से विश्वास करते हैं।'

यह रेखांकित करते हुए कि अब तक सूखे के वर्षों के दौरान संकट के समय में कावेरी जल बंटवारे पर कोई फॉर्मूला तय नहीं है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम संकटकाल के दौरान एक फॉर्मूले की मांग कर रहे हैं। हम इसे लेकर उच्चतम न्यायालय और न्यायाधिकरण के समक्ष भी दबाव बना रहे हैं।’

उन्होंने कहा, 'जब बारिश की कमी होगी, तो दोनों राज्यों में संकट होगा। ऐसी स्थिति में हमें संकट को साझा करना होगा, जिसके लिए एक फॉर्मूले की जरूरत है।'

सिद्धारमैया ने कहा, 'दूसरा समाधान मेकेदातु संतुलन जलाशय का निर्माण है, जिसमें 67 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी की भंडारण क्षमता होगी। जब अधिक बारिश होती है, तो पानी को वहां इकट्ठा किया जा सकता है और संकट के वर्षों के दौरान इसका उपयोग तमिलनाडु को छोड़ने के लिए किया जा सकता है। इससे दोनों राज्यों को मदद मिलेगी।'

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