चेन्नई/दक्षिण भारत। देश में डिजिटल भुगतान का बढ़ता आंकड़ा उत्साहजनक है, लेकिन इसके दूसरे पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज भी कई लोग इस माध्यम से लेनदेन करने में असुविधा महसूस करते हैं।
डिजिटल भुगतान से समय की बचत होती है, नकद राशि रखनी नहीं होती। इसके लिए जरूरी है कि संबंधित व्यक्ति के अकाउंट में पर्याप्त राशि हो। अगर किसी के अकाउंट में उतनी राशि नहीं है और बैंक शाखा उसके घर से काफी दूर है तो उसे नकद भुगतान करना होगा।
आज जहां हर जगह डिजिटल भुगतान पर जोर दिया जा रहा है, वहीं उन लोगों के बारे में भी सोचने की जरूरत है, जो किसी वजह से इस माध्यम से भुगतान नहीं कर सकते।
क्या कहते हैं बुजुर्ग?
एक बुजुर्ग कहते हैं कि जो लोग ऑनलाइन भुगतान के तरीकों से परिचित नहीं हैं, उन्हें सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों या आस-पास किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर रहना होता है। वे भी हर समय मदद नहीं कर सकते। ऐसे में कई बार असुविधाजनक स्थिति हो जाती है।
लोगों का कहना है कि नगर निगम, जल बोर्ड आदि स्थानों पर भुगतान के लिए शिविरों का आयोजन किया जाना चाहिए, ताकि आम नागरिकों को सुविधा हो सके।
वहीं, डिजिटल भुगतान करते समय आए दिन ठगी की घटनाओं को लेकर लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं। रोजाना सोशल मीडिया और अख़बारों में ऐसी घटनाएं पढ़ने को मिल जाती हैं कि किसी साइबर ठग ने लाखों रुपए का चूना लगा दिया।
सर्वर और नेटवर्क की समस्या
एक और शख्स ने बताया कि ऑनलाइन भुगतान करते समय सर्वर और नेटवर्क की समस्या आम है। इस वजह से उन्हें काफी इंतजार करना पड़ता है। इससे बेहतर तो यही है कि वे संबंधित दफ्तर में जाकर नकद भुगतान कर दें। यह काफी आसान है।
दूसरी ओर, ऐसे उपभोक्ताओं की कमी नहीं है, जो डिजिटल भुगतान के पक्षधर हैं। खासतौर से युवा उपभोक्ता अपने ज्यादातर बिलों का भुगतान ऑनलाइन करना पसंद कर रहे हैं। इससे नकद राशि साथ रखने की जरूरत नहीं होती। अपने खर्चों पर नजर रखना भी आसान हो जाता है।
ऑनलाइन भुगतान से कामकाजी वर्ग के लिए चीजें आसान हो जाती हैं। पहले उन्हें बिल आदि भरने के लिए अवकाश लेना पड़ता था। अब चुटकियों में सब काम हो जाता है। रसीद भी डिजिटल मिल जाती है, जिसे संभालकर रखने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता।
दोनों तरीके जरूरी
हालांकि एक युवक कहते हैं कि भुगतान के दोनों तरीके जरूरी हैं। हर किसी को ऑनलाइन भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। बहुत लोगों के साथ ऐसा होता है कि जब उन्होंने भुगतान किया तो वह तकनीकी कारणों से रिजेक्ट हो गया। इसकी वजह का पता लगाना मुश्किल होता है। इस स्थिति में नकद भुगतान जरूरी हो जाता है।
उन्होंने कहा कि निगम की वेबसाइट पर भुगतान विवरण तुरंत दिखाया जाता है, लेकिन मेट्रो वॉटर वेबसाइट पर ऐसा कोई विकल्प नहीं था।
इनका कर सकते हैं उपयोग
बता दें कि एक साल से ज्यादा समय से सरकारी विभाग बिलों और टैक्स भुगतान के लिए डिजिटल भुगतान तरीकों की ओर स्थानांतरित हो गए हैं। इस संबंध में यह तर्क दिया जाता है कि ऐसा वरिष्ठ नागरिकों और कामकाजी वर्ग की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया गया, ताकि उन्हें लंबे समय तक कतारों में खड़ा न रहना पड़े।
अधिकारियों का कहना है कि अगर मेट्रो वॉटर बोर्ड के लिए ऑनलाइन भुगतान करना मुश्किल होता है तो ई-सेवा सुविधाओं या निकटतम डिपो कार्यालय की सेवा ली जा सकती है। वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु उत्पादन और वितरण निगम के लगभग 70 प्रतिशत भुगतान डिजिटल हो रहे हैं।