हमास के चरमपंथियों द्वारा इजराइल पर अचानक किए गए हमले में अनेक नागरिकों की मौत होना दु:खद है। हमास और इजराइल के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद को इसकी भनक तक कैसे नहीं लगी? उसका नाम दुनिया की उन खुफिया एजेंसियों में शुमार किया जाता है, जो सूचनाएं जुटाने में खास महारत रखती हैं। इसके बावजूद हमास के चरमपंथी गाजा पट्टी पर एक सीमा बाड़ को धमाकों से उड़ाने में कामयाब रहे। उन्होंने लगभग 22 जगहों से घुसकर हमला बोला! वे कई इलाकों में घूमते रहे और आम नागरिकों को मौत के घाट उतारते रहे।
इस अप्रत्याशित हमले के जवाब में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का जो बयान आया, उससे स्पष्ट है कि इस टकराव के परिणाम बहुत भयानक होंगे। इजराइल की जवाबी कार्रवाई में फलस्तीन के सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। हर नई रिपोर्ट के साथ यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। आश्चर्य की बात है कि हमास ने दो कस्बों में लोगों को बंधक बना लिया, वहीं एक और कस्बे में पुलिस थाने पर कब्जा कर लिया!
इजराइल की जनता भी यह सवाल उठा रही है कि इतनी चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद चरमपंथी कैसे घुस गए? क्या इजराइल में लंबे समय से चला आ रहा सियासी टकराव इस देश को ऐसे मोड़ पर ले आया है, जहां सुरक्षा तंत्र की खामियों का फायदा उठाकर चरमपंथी धावा बोल रहे हैं? ऐसे में नेतन्याहू पर अपनी जनता का काफी दबाव है। उनके बयान - 'हमास ऐसी कीमत चुकाएगा, जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं होगा', के गहरे निहितार्थ हैं।
अब इजराइल यहीं तक नहीं रुकेगा। उसने पहले ही दिन गाजा पट्टी में बमबारी कर तबाही मचा दी। इजराइल इससे कहीं आगे जाने की क्षमता रखता है, जिसका वह पूरा उपयोग करेगा। उसे अमेरिका की हिमायत हासिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जो कहा, उससे संकेत मिलता है कि इजराइली कार्रवाई और घातक हो सकती है - ‘आतंकवादी हमलों के मद्देनजर इजराइल को अपनी और अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है। यह इजराइल के किसी भी शत्रु के लिए इन हमलों का फायदा उठाने का वक्त नहीं है। दुनिया देख रही है।’
इस घटना के बाद दोनों ओर से भयावह तस्वीरें आ रही हैं। इजराइली सैनिकों, आम नागरिकों के शवों के दृश्य रोंगटे खड़े करने वाले हैं। वहीं, इजराइल ने गाजा पट्टी में जिस तरह कहर बरपाया, उसमें चरमपंथियों के अलावा आम नागरिकों की भी जानें गई हैं। बमबारी से कई घर मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। नेतन्याहू ने अपने टेलीविज़न संबोधन में इसे 'ऑपरेशन' या 'चरण' के बजाय 'युद्ध' करार दिया है। उनके आदेश के बाद हमला भी युद्ध के स्तर जैसा ही था।
यूं तो हमास और इजराइल के बीच टकराव की छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं, जिन पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी नहीं किया जाता, लेकिन इस बार न केवल प्रधानमंत्री का बयान आया, बल्कि उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा प्रतिष्ठान के प्रमुखों को बुलाकर सबसे पहले उन इलाकों को साफ़ करने का आदेश दे दिया, जिनमें चरमपंथियों ने घुसपैठ कर ली थी। उन्होंने बड़े पैमाने पर हथियारों का भंडार जुटाने का आदेश दिया और शत्रु को अभूतपूर्व कीमत चुकाने की चेतावनी दे दी। लिहाजा यह कहा जा सकता है कि कुछ दिनों से (तुलनात्मक रूप से) 'शांत' रहे इस इलाके में अब एक बड़ी जंग भड़कने का खतरा है।
इसमें सैन्य बल की दृष्टि से इजराइल का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, लेकिन फलस्तीन की ओर से उस पर जिस तरह हजारों की तादाद में रॉकेट दागे गए, उससे पता चलता है कि इजराइली सुरक्षा प्रणाली में कई खामियां रही हैं। नेतन्याहू भले ही यह कहें कि 'हम युद्ध में हैं और इसे जीतेंगे', लेकिन उन्हें अपने नागरिकों की सुरक्षा को और मजबूत बनाना होगा। हमास के चरमपंथी जिस तरह घुसपैठ करने में सफल हुए, उससे इस आशंका को बल मिलता है कि इन ठिकानों की सूचना पहले ही उन तक पहुंच गई थी। लिहाजा इजराइल के सामने अपने खुफिया तंत्र को अभेद्य व मजबूत बनाने की भी चुनौती है।