साइबर अपराध के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में ‘ऑपरेशन चक्र-2’ के तहत सीबीआई की कार्रवाई ऐसे अपराधियों को कड़ा संदेश है, जो तकनीक का दुरुपयोग कर लोगों की मेहनत की कमाई उड़ा रहे हैं। हाल के वर्षों में तो साइबर अपराधियों ने बहुत लूट मचाई है। उन्होंने लोगों को बातों ही बातों में झांसा देकर ठगने के इतने तरीके ढूंढ़ लिए हैं कि तकनीकी विशेषज्ञ भी हैरान हैं! जिस व्यक्ति के साथ एक बार ठगी हो जाती है, वह ऑनलाइन लेनदेन को लेकर विभिन्न आशंकाएं पालने लगता है। अगर उसे बैंक से फोन आ जाए तो वह उस पर भी आसानी से विश्वास नहीं करता।
सीबीआई ने देशभर में छह दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है। वह भी एक राज्य में नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में; जिससे पता चलता है कि साइबर ठगों का जाल कितना फैल चुका है! इन्होंने अब तक कितने ही लोगों को चूना लगाया होगा।
अब तक तो साइबर ठग देश में ही अलग-अलग स्थानों के लोगों को ठगते थे। जैसे-जैसे इन्होंने तकनीक में महारत हासिल की, विदेशी नागरिकों के खातों में भी खूब सेंध लगाने लगे। इसके लिए संबंधित देश में बोली जाने वाली भाषा सीखी, वहां के कामकाज, कानूनी एजेंसियों के ढांचे के बारे में जानकारी जुटाई। फिर एक जगह 'दफ़्तर' खोला और लोगों को लूटने लगे।
यूट्यूब पर ऐसे कई वीडियो मौजूद हैं, जिनमें ऑनलाइन ठग नजर आते हैं, जो संबंधित देश की एजेंसियों ने उनकी हरकतों को लाइव कैद करते हुए बनाए थे और बाद में इस संदेश के साथ पोस्ट किए कि 'भारत के साइबर ठगों से सावधान रहें।' अब तक ऐसे मामलों के लिए नाइजीरिया के ठग कुख्यात थे। दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने कृत्यों से हमारे देश की छवि भी बिगाड़ रहे हैं।
सीबीआई को उक्त छापों से पहले एफआईयू, एफबीआई, इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओर से सूचना मिली थी। दरअसल सीबीआई ने अमेज़ॉन और माइक्रोसॉफ्ट की इस शिकायत पर दो मामले दर्ज किए थे कि आरोपी कॉल सेंटर चलाते थे और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाने के लिए कंपनियों के तकनीकी सहयोगी के रूप में पेश होते थे।
इसके बाद सीबीआई ने नौ कॉल सेंटरों की तलाशी ली। एक मामला तो क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के जरिए भारतीय नागरिकों के 100 करोड़ रुपए गबन करने के रैकेट से जुड़ा है। इस मामले का तो खुलासा हो गया। ऐसे कई और मामले हो सकते हैं, जिनमें इन ठगों ने बहुत लोगों को कंगाल किया होगा। हाल में साइबर ठगी के जो तरीके सामने आए हैं, वे बहुत चौंकाने वाले हैं।
पहले लॉटरी, इनाम जीतने आदि का झांसा देकर लोगों को लूटा जाता था। उसके बाद फोन पर परिचित बनकर या सामान बेचने के नाम पर लोगों से ठगी का दौर आया। अब पार्ट टाइम ऑनलाइन काम का झांसा देकर लोगों से लाखों की ठगी की जा रही है। यह देखकर अचंभा होता है कि इनके जाल में सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी तक फंस रहे हैं। कुछ पीड़ित तो ऐसे हैं, जो उन दफ्तरों में काम कर चुके हैं, जिन पर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी होती है। उनके पास वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर एक मैसेज आया कि पार्ट टाइम नौकरी कर मोटा मुनाफा कमाएं ... बस कुछ होटलों को अच्छी रेटिंग दें ... यूट्यूब पर वीडियो लाइक करें ... उसके बाद जब मर्जी हो, राशि अपने अकाउंट में ट्रांसफर करें!
जब लोग यह देखते हैं कि कुछ रेटिंग देने या वीडियो लाइक करने के बदले रोज़ाना दो हजार से पांच हजार रुपए मिल रहे हैं तो सोचते हैं कि ऐसा मौका क्यों गंवाया जाए! लिहाजा वे 'प्रस्ताव' ठुकरा नहीं पाते। उसके बाद जीवनभर की बचत भी गंवा देते हैं। साइबर ठग उनकी कमाई लूटकर ऐश करते हैं। देर-सबेर एजेंसियां ऐसे अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाती हैं, लेकिन इस बीच कितने ही लोग और ठग लिए जाते हैं।
ऐसी वारदातों से खुद को बचाने के लिए जागरूकता हासिल करने के साथ ही लालच से दूर रहना होगा। सोचिए, अगर कुछ रेटिंग देने या वीडियो लाइक करने के बदले कोई कंपनी लाखों रुपए बांटने लगेगी तो कितने दिन चलेगी? आज तक ऐसा कोई वित्तीय मॉडल नहीं बना, जहां मिनटों के काम के बदले इतनी कमाई की गुंजाइश हो। यह साफ-साफ धोखाधड़ी है। ऐसे अपराधियों पर कानून का 'चक्र' जितनी तेजी से चले, उतना अच्छा है।