गाजा के अल-अहली बैप्टिस्ट अस्पताल में जोरदार धमाके में सैकड़ों लोगों की मौत की घटना दु:खद है। इसके वीडियो सोशल मीडिया समूहों में तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सभ्य समाज में आम नागरिकों पर इस तरह के हमलों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। ऐसी घटनाएं अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ जाती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा पीड़ा आम आदमी के हिस्से में आती है। उक्त घटना के तुरंत बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
फलस्तीन की ओर से इजराइल पर दोषारोपण किया जा रहा है, वहीं इजराइल इस हमले में अपनी भूमिका होने से इन्कार कर रहा है, जिससे शक की सुई एक बार फिर हमास की ओर घूम रही है। अगर यह संगठन 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमला न करता तो ऐसी घटना की नौबत ही न आती। हाल के महीनों में तुलनात्मक रूप से शांति थी। हालांकि दोनों ओर (इजराइल-फलस्तीन) से संबंधों में कोई मधुरता नहीं थी, लेकिन हिंसक टकराव की घटनाएं नहीं हो रही थीं। जब हमास ने हमले का आगाज किया तो तय माना जा रहा था कि अब इजराइल की ओर से जो प्रतिक्रिया आएगी, वह भरपूर ताकत से आएगी।
आखिरकार यही हुआ। इजराइल ने जिस तरह गाजा में बम बरसाए, उसमें हमास के कई लड़ाके मारे गए। हालांकि आम नागरिक भी ऐसे हमलों की चपेट में आए। इजराइल ने गाजा में बड़ी-बड़ी इमारतों को पलभर में जमींदोज़ कर दिया। बताया गया कि इनका संबंध हमास से था। देश-दुनिया में इजराइल को इसके लिए भरपूर समर्थन मिल रहा था, लेकिन जब अस्पताल में धमाका हुआ तो इस पूरी कार्रवाई पर सवाल उठने लगे।
ईरान, जिसके अख़बार इजराइल पर हमला करने वालों की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, अब अपना प्रथम पृष्ठ काला दिखाकर विरोध कर रहे हैं। दूसरी ओर अमेरिका कह रहा है कि गाजा अस्पताल में धमाके के लिए इजराइल जिम्मेदार नहीं है। इस संबंध में व्हाइट हाउस ने बयान तक जारी किया। उसने इसके पीछे खुफिया जानकारी, मिसाइल गतिविधि, उपग्रह से ली गईं तस्वीरों, संचार सामग्री और ‘ओपन सोर्स सूचना’ के आधार पर यह दावा किया है। तो हमला किसने किया है?
इस बीच वीडियो, ऑडियो एवं अन्य सूचनाओं के माध्यम से यह दावा किया जाना कि धमाका गाजा में सक्रिय एक अन्य आतंकवादी समूह इस्लामिक जिहाद द्वारा गलत दिशा में रॉकेट दागे जाने के कारण हुआ, चिंता का विषय है। उक्त धमाके में आम नागरिकों की मौत तो दु:खद है ही, यह घटना फिर से भीषण टकराव की वजह बन सकती है। अब इजराइल का रुख इस संगठन के प्रति भी आक्रामक हो सकता है। वह इसके ठिकानों को निशाना बनाकर रॉकेट दाग सकता है।
गाजा में हमास हो या ऐसे अन्य संगठन, वे सोची-समझी रणनीति के तहत पहले तो हमला करते हैं। फिर जब इजराइल जवाबी कार्रवाई करता है तो वे आम नागरिकों को आगे कर देते हैं। उग्र नारों से माहौल जोशीला बनाने की कोशिश की जाती है। छोटे-छोटे बच्चों को पत्थरबाज बनाकर आगे खड़ा कर दिया जाता है। सात अक्टूबर की घटना और उसके बाद इजराइल के आक्रामक रुख से दोनों ओर अनेक आम नागरिकों का लहू बहा है। आज इस बात की जरूरत है कि तुरंत शांति बहाली की जाए। अस्पताल में धमाके की निष्पक्ष जांच की जाए। इसके पीछे जिसकी भूमिका हो, उसे जिम्मेदार ठहराकर दंडित किया जाए।