तुष्टीकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में भी संकोच नहीं हो रहा: मोदी

प्रधानमंत्री ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की

'अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है'

केवड़िया/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यहां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने देशवासियों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा की शपथ दिलाई। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मन के अनेक हैं, लेकिन माला एक है। तन अनेक हैं, लेकिन मन एक है। जैसे 15 अगस्त हमारी स्वतंत्रता के उत्सव का, 26 जनवरी हमारे गणतंत्र के जयघोष का दिवस है। उसी तरह 31 अक्टूबर का यह दिन देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता के संचार का पर्व बन गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाला आयोजन, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्यपथ पर परेड और 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में मां नर्मदा के तट पर राष्ट्रीय एकता दिवस का यह मुख्य कार्यक्रम राष्ट्र उत्थान की त्रिशक्ति बन गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता नगर में आने वालों को सिर्फ इस भव्य प्रतिमा के दर्शन नहीं होते, बल्कि उसे सरदार साहब के जीवन, त्याग और एक भारत के निर्माण में उनके योगदान की झलक भी मिलती है। इस प्रतिमा की निर्माण गाथा में ही 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपनी नौसेना के ध्वज पर लगे गुलामी के निशान को हटा दिया है। गुलामी के दौर में बनाए गए गैर-जरूरी कानूनों को भी हटाया जा रहा है। आईपीसी की जगह भी भारतीय न्याय संहिता लाई जा रही है। इंडिया गेट पर जहां कभी विदेशी सत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा थी, वहां अब नेताजी सुभाष की प्रतिमा हमें प्रेरणा दे रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। हम विकास भी कर रहे हैं और अपनी विरासत का संरक्षण भी कर रहे हैं। आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा न सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी सिद्ध न कर सकें। बीते नौ वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की एकता के रास्ते में, हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है- तुष्टीकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता, विकरालता कभी दिखाई नहीं देती। तुष्टीकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है। वे आतंकी गतिविधियों की जांच में कोताही करते हैं, वे देशविरोधी तत्त्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टीकरण की यह सोच इतनी खतरनाक है कि वह आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाती है। ऐसी सोच से किसी समाज या देश का भला नहीं हो सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मेरे सामने लघु भारत का स्वरूप दिख रहा है। राज्य अलग है, भाषा अलग है, परंपरा अलग है, लेकिन यहां मौजूद हर व्यक्ति एकता की मजबूत डोर से जुड़ा हुआ है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। आज हमारा देश उपलब्धियों के नए शिखर पर है। जी20 में भारत की सामर्थ्य को देखकर दुनिया हैरान हो गई है। हमें गर्व है कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की साख को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा न सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी मिलकर सिद्ध न कर सकें। किसने सोचा था कि कश्मीर कभी आर्टिकल 370 से मुक्त भी हो सकता है? लेकिन आज कश्मीर और देश के बीच आर्टिकल 370 की वो दीवार गिर चुकी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संकल्प से सिद्धि का एक बहुत बड़ा उदाहरण हमारा यह एकता नगर भी है। आज एकता नगर की पहचान ग्लोबल ग्रीन सिटी के तौर पर हो रही है। यही वह शहर है, जहां से दुनियाभर के देशों का ध्यान खींचने वाले मिशन लाइफ की शुरुआत हुई थी। यहां रिवर राफ्टिंग, एकता क्रूज, एकता मॉल, एकता नर्सरी, आरोग्य वन और जंगल सफारी आदि पर्यटकों को बहुत आकर्षित कर रहे हैं।

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