पाकिस्तान में रहने वाले लाखों अफगान नागरिकों को निकाले जाने की कार्रवाई के संबंध में घोषणा होते ही इस बात की आशंका जताई जाने लगी थी कि अब इस पड़ोसी देश में आतंकवाद की बड़ी लहर आएगी। वह लहर आ गई है। पाक का मियांवाली ट्रेनिंग एयर बेस, जो सबसे 'सुरक्षित' इलाकों में शुमार किया जाता है, वहां 'आतंकवादियों' ने धावा बोल दिया। हमेशा की तरह इस घटना को लेकर भी पाकिस्तान ने लीपा-पोती करते हुए यह दिखाने की कोशिश की कि उसने बड़े हमले को नाकाम कर दिया। जबकि उसके ही कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर पोल खोलते हुए बता दिया कि आतंकवादियों ने ट्रेनिंग एयर बेस को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा दिया है।
पाकिस्तान ने जनवरी 2016 में इसी तरह का आतंकवादी हमला भारत में पठानकोट स्थित वायुसेना स्टेशन पर करवाया था। वह उसमें अपनी भूमिका होने से साफ इन्कार करता रहा, लेकिन उसके खिलाफ पुख्ता सबूत थे। आज पाकिस्तान के कर्मों का फल उसी की ओर लौटकर आ रहा है। इससे एक दिन पहले, शुक्रवार को पाकिस्तान के 17 जवान ढेर हुए थे। पाक फौज पर बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में ताबड़तोड़ हमले हुए, जिसके बाद सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के दावों पर सवाल उठ रहे हैं।
इनमें ग्वादर में एक आतंकवादी हमला, डेरा इस्माइल खान में एक रिमोट-नियंत्रित बम धमाका और लक्की मरवत में एक 'सुरक्षा अभियान' शामिल है। डेरा इस्माइल खान में पांच लोग मारे गए और पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 24 घायल हो गए थे। ग्वादर में आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के दो वाहनों पर हमला किया था। उस हमले में ही पाक फौज के 14 जवान धराशायी हो गए थे। भारत के उरी और पुलवामा में आतंकवादी हमले करवाने वाला पाकिस्तान आज उन्हीं (हमलों) की तर्ज पर लहूलुहान हो रहा है। यह भी एक संयोग है या कर्मफल?
रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी तो शुरुआत है! आने वाले तीन महीने पाकिस्तान के लिए बहुत भारी होने जा रहे हैं। जनरल मुनीर के बड़े-बड़े दावों के बावजूद हकीकत यह है कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन मजबूत होते जा रहे हैं। उन्हें अतीत में पाक फौज ने ही पाल-पोसकर तैयार किया था। उस समय रावलपिंडी के जनरलों को भ्रम था कि ये 'अच्छे आतंकवादी' होंगे, जो सिर्फ भारत को परेशान करेंगे। बेशक उन आतंकवादियों की वजह से भारत को बहुत परेशानी हुई, लेकिन हमने अपने सुरक्षा व खुफिया तंत्र को मजबूत बनाया। आज जितने आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश करते हैं, उनमें से ज्यादातर तो वहीं ढेर कर दिए जाते हैं।
आतंकवादी संगठनों के आका यह बात समझने लगे हैं कि अगर वे भारत की ओर रुख करेंगे तो जान से जाएंगे, इसलिए पाकिस्तान में ही हुकूमत करने के ख्वाब देखने लगे हैं। अब वे पाकिस्तान के लिए 'बुरे आतंकवादी' हो गए हैं। जब से जनरल मुनीर ने कुर्सी संभाली है, सुरक्षा बलों पर हमले बढ़ गए हैं।
पाक फौज के पाले हुए आतंकवादी जानते हैं कि अगर उन्हें इस्लामाबाद पर कब्जा करना है तो उससे पहले फौज को कमजोर करना होगा। अफगानिस्तान में तालिबानी शासन लौट आने के बाद उनके हौसले बुलंद हैं। उन्हें लगता है कि जिस तरह काबुल उनके कब्जे में आ गया, उसी तरह देर-सबेर इस्लामाबाद भी आ जाएगा। इसलिए गाहे-बगाहे सुरक्षा बलों पर हमले करते रहते हैं। ताजा हमले उसी सिलसिले की एक कड़ी है, जिसमें फौज को भारी नुकसान पहुंचा है।
पाक में जैसे-जैसे आम चुनावों के दिन नजदीक आएंगे, सियासी रैलियां निकलेंगी, नेताओं के भाषण होंगे, उनके साथ आतंकवादी हमलों की तीव्रता में भी बढ़ोतरी हो सकती है। वहां हर चुनाव में सैकड़ों लोग बम धमाकों में मारे गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री तक जान गंवा चुके हैं। ऐसे में यह चुनाव अपवाद हो जाए, इसकी गुंजाइश न के बराबर है।