कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध में मौके का फायदा उठाकर करोड़ों डॉलर के हथियार बेचे जाने संबंधी रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। हालांकि इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जिस पर अचंभा किया जाए, क्योंकि पाक की यह पुरानी फ़ितरत है। इस बार उसने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की। पहले उसके 'वैज्ञानिक' परमाणु हथियारों की तस्करी करते पकड़े गए थे। दहशत के धंधे में पाक खूब चांदी कूट रहा है। जब रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ा तो पाक के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान मास्को गए हुए थे। एक ओर पाक सस्ता गेहूं और तेल खरीदने के लिए रूस से दोस्ती का दिखावा कर रहा था, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन को हथियार बेचकर अपने खाली कटोरे को भरने का रास्ता निकाल रहा था। पाक के इस पाखंड के लिए पश्चिमी देश कम जिम्मेदार नहीं हैं। वे दुनिया को शांति, मैत्री, सहिष्णुता पर उपदेश देते रहते हैं, लेकिन समय आने पर अपने फायदे के लिए पाक का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं रहते। अब जिस रिपोर्ट में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए जिन दो निजी अमेरिकी कंपनियों से हथियारों के सौदे का दावा किया जा रहा है, उनसे पाक ने 36 करोड़ 40 लाख अमेरिकी डॉलर कमाए हैं! इस राशि का इस्तेमाल कहां हुआ होगा? पाक में आटा, सब्जी, बिजली के लिए त्राहि-त्राहि मची है, लेकिन इस राशि का बड़ा हिस्सा उसके भ्रष्ट सैन्य अधिकारियों की जेब में गया होगा। वहीं, एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद को परवान चढ़ाने पर खर्च किया गया होगा। हाल में जिस तरह एलओसी पर आतंकवादियों की घुसपैठ, हमले और गोलीबारी की घटनाएं हुईं, कहीं यह उसी राशि का तो असर नहीं है?
इस अवधि में पाकिस्तानी रुपए में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कुछ सुधार आया है। पेट्रोल की कीमतों में थोड़ी राहत दी गई है। पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के रवैए में कुछ नरमी दिखाई दी है। हालांकि अपनी आदत के मुताबिक ही पाक इस बात से इन्कार कर रहा है कि उसने यूक्रेन को हथियार बेचे थे। जबकि रिपोर्ट बताती है कि एक ब्रिटिश सैन्य मालवाहक विमान ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए रावलपिंडी में पाकिस्तान वायुसेना के नूर खान अड्डे से साइप्रस, अक्रोटिरी में ब्रिटिश सैन्य अड्डे और फिर रोमानिया के लिए कुल पांच बार उड़ानें भरी थीं। इस दौरान कितना गोला-बारूद यूक्रेन गया होगा? रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने 155 एमएम तोप के गोले की बिक्री के लिए 'ग्लोबल मिलिट्री' और 'नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन' नामक अमेरिकी कंपनियों के साथ दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे। ये विशेष रूप से 155 एमएम तोप के गोले की खरीद से जुड़े थे। रिपोर्ट का यह दावा चौंकाने वाला है कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान इस देश के हथियारों के निर्यात में 3,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है! पाक ने वर्ष 2021-22 में 1 करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर के हथियार निर्यात किए, जबकि वर्ष 2022-23 में यह निर्यात 41 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया! इन आंकड़ों के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का यह बयान सफेद झूठ लगता है कि उसने दोनों देशों के बीच विवाद में 'सख्त तटस्थता' की नीति बनाए रखी और इस युद्ध में कोई हथियार या गोला-बारूद उपलब्ध नहीं कराया है। पाकिस्तान पहले ही आतंकवाद की अंतरराष्ट्रीय मंडी बना हुआ है। ऐसे में उसके यहां से हथियारों के निर्यात में इतना बड़ा उछाल विश्व शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। खासतौर से भारत के लिए, जहां वह कई वर्षों से आतंकवाद का प्रसार करने की नाकाम कोशिशें कर रहा है। लिहाजा हमें बहुत सावधानी बरतनी होगी।