तंबाकू से होने वाली हानियों के बारे में सूचना देने के लिए कई प्रयासों के बावजूद इसका सेवन बढ़ता जा रहा है, जो अत्यंत चिंता का विषय है। लांसेट के ‘ई क्लिनिकल मेडिसिन’ में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस पदार्थ के सेवन और उसके परिणामों के बारे में जो दावा किया है, उससे अवगत होना प्रासंगिक है। विशेष रूप से युवाओं को इसके बारे में जरूर जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे तंबाकू के सेवन से दूर रहें।
इस अध्ययन के अनुसार, हर साल सात देशों में 13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत धूम्रपान से होने वाले कैंसर के कारण होती है। यहां ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इन देशों में भारत भी शामिल है। शोधकर्ताओं ने यह पाया कि दुनिया में हर साल कैंसर से जितने लोगों की मौत होती है, उनमें आधे से ज्यादा तो भारत, चीन, ब्रिटेन, ब्राजील, रूस, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका से हैं। यही नहीं, धूम्रपान और तीन अन्य जोखिमपूर्ण कारक (मद्यपान, मोटापा और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस यानी एचपीवी) 20 लाख लोगों की जान ले लेते हैं।
तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन हानिकारक है। इससे बचने के लिए जागरूकता के कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। संबंधित उत्पादों पर चेतावनी अंकित होती है। सिनेमा हॉल में फिल्म की शुरुआत से पहले चेतावनी दिखाई जाती है। धूम्रपान से संबंधित दृश्यों में भी मोटे-मोटे अक्षरों के साथ चेतावनी दी जाती है, लेकिन फिल्म पूरी होने के बाद बाहर आकर कई लोग धूम्रपान करते दिख जाते हैं। स्पष्ट है कि उन्होंने चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया था। जब इससे सेहत को बड़ा नुकसान हो जाता है, तब पछतावा होता है कि मैं वर्षों से विष का सेवन करता रहा ... इससे बचना चाहिए था!
ऐसी नौबत क्यों आए? अक्लमंदी तो इसमें है कि तंबाकू और हर किस्म के नशे से दूर रहा जाए। अगर किसी कारणवश सेवन करना शुरू कर दिया है तो इस बात का इंतजार न करें कि कल छोड़ दूंगा या भविष्य में छोड़ दूंगा। प्राय: ऐसे मामलों में 'कल' कभी नहीं आता। अगर छोड़ना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय आज और अभी है। अगर 'आज' निकल गया तो इस बात की ज्यादा आशंका है कि 'कल' भी यूं ही निकल जाएगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को लुधियाना में मादक पदार्थ रोधी अभियान के तहत जिस साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाई, उसे मादक पदार्थों के सेवन से होने वाली हानियों के विरुद्ध आयोजित देश की सबसे बड़ी साइकिल रैली बताया जा रहा है। इसके लिए 25,000 लोगों ने पंजीकरण कराया, जो प्रशंसनीय है, लेकिन पंजाब सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए कि आज पंजाबी गानों में जिस तरह नशे का महिमा-मंडन किया जा रहा है, उससे समाज में ग़लत संदेश जा रहा है।
पंजाबी गाने देश-दुनिया में खूब मशहूर हैं। सामाजिक कार्यक्रम हो या ब्याह-शादी, वहां वे बजाए जाते हैं। लोग उन पर नृत्य करते हैं। इस दौरान कई लोग ऐसे गानों पर भी थिरकते दिख जाते हैं, जिनमें नशे का 'गुणगान' किया जाता है! यूट्यूब पर ऐसे गानों के दर्जनभर वीडियो हैं, जिनमें नशे को इस तरह पेश किया गया है, जिससे युवा मन शीघ्र आकर्षित हो सकता है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान नशाखोरी से संबंधित जो आंकड़े आ रहे हैं, वे विचलित कर देनेवाले हैं। आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है? वहां शराब की दुकानें 48 घंटे के लिए सील किए जाने से पहले इसकी बिक्री में सोमवार से बुधवार शाम के बीच करीब 15 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। इन दुकानों को कुछ समयावधि के लिए सील करने के पीछे जो (अच्छा) उद्देश्य था, उसे विफल करने के लिए लोगों ने ही पूरा जोर लगा दिया। उन्हें पता था कि दुकानें सील होंगी, इसलिए पहले ही खरीद लाए।
दीपावली, जो बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का महापर्व है, उस दौरान भी लोगों ने शराब पर खूब पैसा बहाया। जो पदार्थ इन तीनों का नाश करता है, सेहत चौपट करता है, उसके प्रति ऐसा गहरा आकर्षण क्यों है? होना तो यह चाहिए था कि ऐसे अवसर पर हर किस्म के नशे से दूर रहने का संकल्प लेते। स्वास्थ्य पत्रिकाओं की रिपोर्टें, सरकारी चेतावनी, रैलियां, प्रतिबंध ... एक हद तक ही प्रभावी होते हैं। नशे से दूर रहने की इच्छाशक्ति संबंधित व्यक्ति में पैदा होनी चाहिए, आत्मबोध होना चाहिए। उसके बाद ही सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। याद रखें- नशा नाश की जड़ है। इससे जितना दूर रहें, उतना बेहतर है।