कट्टरपंथ और युवा मन

कट्टरपंथी अपने भाषणों में भारत और गैर-मुस्लिम समुदायों के खिलाफ आग उगलते नजर आते हैं

जो सामग्री हमारे देश की शांति और सद्भाव के खिलाफ है, किसी भी कीमत पर उसके प्रसारण की इजाजत नहीं होनी चाहिए

प्रयागराज में इंजीनियरिंग के एक छात्र लारैब हाशमी द्वारा बस कंडक्टर की गर्दन पर धारदार हथियार से हमला किए जाने और बाद में सोशल मीडिया पर नारे लगाते हुए वीडियो पोस्ट करने की घटना चौंकाने वाली है। किराए के कुछ रुपयों को लेकर हुआ विवाद ऐसा भयानक रूप कैसे ले सकता है? अभी जांच एजेंसियां इस घटना की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं, इसलिए विवाद की शुरुआत किसकी ओर से हुई, यह सामने आना बाकी है, लेकिन किसी भी सूरत में हथियार से हमला करने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

घटना के बाद उप्र पुलिस ने काफी फुर्ती दिखाई और हाशमी को उसी दिन चंडी गांव से मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। अब यह पता लगाना चाहिए कि इतनी कम उम्र में इस छात्र के मन में नफरत का ऐसा जहर किसने भरा कि इसने गर्दन काटने की कोशिश तक का दुस्साहस कर लिया! यह कोई सामान्य घटना नहीं है। यह जून 2022 में राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैया लाल प्रकरण से काफी समानता रखती है।

हाशमी इंजीनियरिंग का छात्र है। ऐसे में यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि उसे घटना की गंभीरता का अंदाजा नहीं था। उसके बाद मीडिया में जिस तरह की रिपोर्टें सामने आ रही हैं, उससे शक की सुई कट्टरपंथी विचारधारा की ओर घूमती है। आज सोशल मीडिया पर कट्टरपंथ का प्रचार करने वाले इतने समूह व चैनल मौजूद हैं, जिनके संपर्क में आने के बाद युवाओं का गुमराह होना स्वाभाविक है।

यह सामग्री मुख्यत: पाकिस्तान से पोस्ट की जाती है। वहां खूंखार आतंकवादियों के अलावा खादिम हुसैन, साद हुसैन, जैद हामिद जैसे कट्टरपंथियों के वीडियो खूब देखे जाते हैं। पहले इनकी तकरीरें कैसेट और सीडी की शक्ल में मौजूद होती थीं, जिन्हें भारत या किसी अन्य देश तक पहुंचने में काफी समय लगता था। अब इंटरनेट से यह काम चुटकियों में हो जाता है।

ये कट्टरपंथी अपने भाषणों में भारत और गैर-मुस्लिम समुदायों के खिलाफ आग उगलते नजर आते हैं। हैरत की बात है कि यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर इन्हें लाखों व्यूज मिलते हैं। इनमें बड़ा हिस्सा उन लोगों का भी है, जो भारत से यह सामग्री देखते हैं। इसके अलावा वॉट्सऐप, टेलीग्राम पर बने समूहों में ऐसी सामग्री लिखित में भी डाली जाती है। युवा मन पर इनका गंभीर दुष्प्रभाव होता है।

बार-बार ऐसे भाषण सुनने के बाद उसे यह भ्रम होने लगता है कि उसकी सभी समस्याओं का समाधान इस व्यक्ति के पास है ... यही मेरी जिज्ञासा शांत कर सकता है। लगातार उसके वीडियो देखने के बाद वह उसका मुरीद हो जाता है। फिर वह उसके नजरिए पर सवाल नहीं उठा सकता है। अगर कट्टरपंथी किसी से नफरत करने, उस पर हमला करने की बात दोहराता है तो उससे प्रभावित युवक ऐसा अपराध करने के बाद उसे न्यायोचित ठहरा सकता है। बस, उसे एक मौका चाहिए। याद करें, हाल के वर्षों में यूरोप में चाकूबाजी, आतंकवाद की जितनी घटनाएं हुईं, उनमें या तो कोई पाकिस्तानी शामिल था या कोई ऐसा व्यक्ति, जो लंबे अरसे से कट्टरपंथ आधारित सामग्री देख-सुन रहा था।

इसके मद्देनजर भारतीय एजेंसियों को बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। हमें इंटरनेट आधारित किसी प्लेटफॉर्म को कुछ भी पोस्ट करने की खुली छूट नहीं देनी चाहिए। बेशक अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि अभिव्यक्ति के नाम पर हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सामग्री को भी प्रसारित करने की छूट मिले।

युवाओं के मन में नफरत का जहर घोलने वाली ऐसी सामग्री पर कड़ी नजर रखी जाए और उसे हटवाया जाए। अगर संबंधित मंच आनाकानी करे तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने से न हिचकें। जो सामग्री हमारे देश की शांति और सद्भाव के खिलाफ है, किसी भी कीमत पर उसके प्रसारण की इजाजत नहीं होनी चाहिए।

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