नई दिल्ली/भाषा। सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र से पहले शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है।
संसद का शीतकालीन सत्र चार दिसंबर से शुरू होगा और इसका 22 दिसंबर तक चलना प्रस्तावित है। इस दौरान 15 बैठकें होंगी, जिनमें कुछ महत्त्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की जा सकती है।
इनमें ब्रिटिश कालीन तीन अपराध कानूनों - भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लाए गए विधेयक भी शामिल हैं।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी शनिवार को बैठक बुलाएंगे, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल समेत वरिष्ठ नेता भाग ले सकते हैं।
इस समय संसद में 37 विधेयक लंबित हैं जिनमें से 12 चर्चा और पारित करने के लिए सूचीबद्ध हैं और सात विधेयक पेश किए जाने, चर्चा और पारित करने के लिए सूचीबद्ध हैं।
सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच को भी पेश करने की योजना बनाई है।
इसी सत्र में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के आरोपों पर आचार समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी।
समिति की उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश तभी प्रभाव में आ सकती है, जब सदन रिपोर्ट को स्वीकार करेगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी संसद में लंबित है। इसे मॉनसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन सरकार ने विपक्षी सदस्यों और पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के विरोध के बीच संसद के विशेष सत्र में इसे पारित करने पर जोर नहीं दिया था।
विधेयक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का दर्जा कैबिनेट सचिव के समान करने का प्रावधान प्रस्तावित है। इस समय वे उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश का दर्जा रखते हैं।