‘प्रधानमंत्री महिला किसान ड्रोन केंद्र’ ग्रामीण भारत के विकास की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। इन केंद्रों का ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक विस्तार किया जाए। इनमें समय के साथ और तकनीकी उपकरण भी जोड़े जाएं। इस योजना के जरिए अगले तीन वर्षों में महिला स्वयं सहायता समूहों को 15,000 ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे! यही नहीं, इन केंद्रों से महिलाओं को ड्रोन उड़ाने और उनका उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
ड्रोन एक ऐसा यंत्र है, जिसके उपयोग को लेकर अपार संभावनाएं हैं। खासतौर से खेती में, जहां यह न केवल किसानों के लिए काफी आसानी पैदा कर देगा, बल्कि फसल उत्पादन बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। खेती में ड्रोन के बेहतरीन इस्तेमाल की बात हो तो यह इजराइल के जिक्र बिना अधूरी है। इस देश के किसानों के पास उन्नत श्रेणी के ड्रोन हैं। खेत के किस हिस्से में मिट्टी की प्रकृति कैसी है, हर साल फसल चक्र में कैसा परिवर्तन आ रहा है, कहां भूगर्भीय जल ऊपर या गहरा हो सकता है, किस हिस्से को खाद और पोषक तत्त्वों की अधिक जरूरत है, सिंचाई के लिए कहां पानी कम / ज्यादा होना चाहिए ...? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब सामान्य आंखों से खेत को देखकर हासिल नहीं किए जा सकते।
ड्रोन से प्राप्त चित्रों / वीडियो का विश्लेषण किया जाए तो यह काम आसान हो जाएगा। कई ग्रामीण इलाकों में रात को आवारा पशुओं का विचरण एक बड़ी समस्या है। बहुत बार यह देखने में आता है कि किसान खेत में महीनों मेहनत कर फसल उपजाता है, लेकिन कटाई का वक्त आता है तो आवारा पशु चट कर जाते हैं। सर्द रातों में फसल की रखवाली करते हुए कई किसानों की जान भी जा चुकी है। ड्रोन उनके लिए राहत लेकर आ सकता है।
किसान ड्रोन उड़ाकर मालूम कर सकते हैं कि आवारा पशु कहां हैं, किस ओर से खेत में घुसपैठ कर रहे हैं, रात को किस समय आते हैं, किस ओर जाते हैं ...! इससे उन्हें देर रात को खुले आसमान के नीचे बैठकर रखवाली नहीं करनी होगी। उनका नया दोस्त ड्रोन यह सब करेगा। बस, उन्हें तो इसका संचालन करना सीखना होगा। बाकी जिम्मेदारी ड्रोन की होगी। किसानों को खेत में काम के दौरान कई चीजों की जरूरत पड़ती रहती है।
उदाहरण के लिए- खेत तक पहुंचने के बाद याद आया कि कीटनाशक की बोतल तो घर पर ही भूल आए! अब या तो दोबारा घर जाएं या (खुद के पास मोबाइल फोन सुविधा हो तो) घर से किसी को बुलाएं। अगर खेत पहाड़ी इलाके में हो तो घर से सीधी दूरी भले ही थोड़ी-सी लगे, लेकिन पहाड़ पर चढ़ना-उतरना काफी मुश्किल भरा काम होता है। ऐसी स्थिति में ड्रोन उड़ान भरेगा और कीटनाशक ले आएगा। इससे किसान का समय बचा और मेहनत भी बची, जिसका उपयोग वह खेत में कर सकेगा।
इसी तरह दोपहर का भोजन, शाम की चाय ... ड्रोन लेकर आ सकता है। किसान रात को खेत की रखवाली करने पहुंचा है। अचानक उसे याद आए कि वह टॉर्च तो घर पर ही भूल आया! अब क्या किया जाए? इस स्थिति में ड्रोन चलाने वाले किसान को न तो सुनसान रास्ते से घर की दौड़ लगानी होगी और न उसके घर से किसी को टॉर्च लेकर आने की जरूरत होगी। ड्रोन उड़ेगा और कुछ ही मिनटों में टॉर्च लेकर हाजिर हो जाएगा। किसानों के बच्चे पढ़ाई-लिखाई में ड्रोन का बेहतरीन इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसी सहपाठी से कोई किताब, नोटबुक या सहायक पुस्तक मंगानी हो तो ड्रोन यह काम कर देगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कई काम हैं, जिनमें अब तक काफी मेहनत लगती थी, लेकिन भविष्य में उनका जिम्मा ड्रोन संभालेगा। विज्ञान के इस वरदान का लाभ खेत-खलिहान को मिलेगा तो उसका प्रभाव वहीं तक सीमित नहीं रहेगा। यह भविष्य में हर क्षेत्र में नजर आएगा। किसान सुखी होगा तो देश सुखी होगा।