नई दिल्ली/भाषा। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का बचाव करने में केंद्र की ओर से प्रमुख वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को कहा कि सरकार के पांच अगस्त, 2019 के फैसले को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का फैसला देश के इतिहास में दर्ज किया जाएगा।
मेहता ने कहा कि पांच अगस्त, 2019 से पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया में इकलौते वकील के रूप में शामिल और उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष दलीलें रखने के कारण यह उनके लिए भी ऐतिहासिक दिन है।
उन्होंने कहा, ‘पांच अगस्त, 2019 और आज की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज की जाएगी, जब अतीत की एक बड़ी संवैधानिक गलती को आखिरकार सरकार ने ठीक कर दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘यह केवल हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और हमारे गृह मंत्री अमित शाह का दृढ़ संकल्प और शानदार रणनीति है, जिसने इस ऐतिहासिक फैसले को संभव बनाया। देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा।’
मेहता ने कहा कि उन्हें उस पूरी प्रक्रिया का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला, जिसने उनके अनुकरणीय संकल्प, छोटे से छोटे विवरण के बारीकी से समन्वय और संसदीय प्रक्रिया के समन्वय का प्रदर्शन किया।
सॉलिसिटर जनरल ने एक बयान में कहा, ‘उच्चतम न्यायालय द्वारा न्यायिक निर्णय ऐतिहासिक और दुर्लभ है। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले पर निर्णय दिया जिसमें सबसे पांच वरिष्ठ न्यायाधीश - भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति भूषण आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल थे - भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक ऐतिहासिक पीठ और इसमें भारत के तीन भावी प्रधान न्यायाधीश। सभी पांचों दिग्गज न्यायाधीश हैं, जो निर्विवाद रूप से बड़े विद्वान हैं।’
देश के शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि पीठ ने तीन सप्ताहों तक सभी पक्षों को बहुत धैर्यपूर्वक सुना।
उन्होंने कहा, ‘और आज ऐसा फैसला आया है, जो अद्भुत विद्वता, कानून के शासन के लिए चिंता और धर्म, लैंगिकता, जाति या नस्ल की परवाह किए बिना जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक नागरिक के समानता के मौलिक अधिकारों के लिए स्पष्ट चिंता का प्रदर्शन कर रहे इस महान देश के इतिहास में दर्ज किया जाएगा।’
मेहता ने कहा, ‘हमारे संविधान में अनुच्छेद 370 को शामिल किए जाने के पीछे के इतिहास को विस्तारपूर्वक पढ़े जाने के कारण, मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सरदार वल्लभभाई पटेल की आत्मा को आज संतुष्टि मिली होगी, क्योंकि जिस प्रावधान को वे भारत के संविधान में शामिल किए जाने से रोक नहीं सके थे, वह आखिरकार हटा दिया गया है। वे नरेंद्र मोदी और अमित शाह को आशीर्वाद दे रहे होंगे।’