अनुच्छेद 370: मोदी ने 'एक्स' पर उर्दू में ऐसा क्या लिखा कि भड़क उठे पाकिस्तानी?
यहां उस पोस्ट को हूबहू हिंदी में पेश किया गया है
पाकिस्तान में कई पत्रकारों ने कहा है कि मोदी ने 'उर्दू में पोस्ट' के जरिए पाकिस्तानियों के मज़े लेने की कोशिश की है!
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय से अनुच्छेद 370 को लेकर अहम फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर कई पोस्ट कीं। इसमें एक पोस्ट उर्दू में भी है, जिसकी भारत के अलावा पाकिस्तान में खूब चर्चा हो रही है।
कहा जा रहा है कि मोदी ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को संबोधित करने के लिए उर्दू में पोस्ट को प्राथमिकता दी। वहीं, यह भी चर्चा है कि प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उर्दू की कोई खास जरूरत नहीं थी, क्योंकि वहां लोग हिंदी आसानी से समझते हैं।तो मोदी ने उर्दू में पोस्ट क्यों की? पाकिस्तान में कई पत्रकारों ने समाचार चैनलों और यूट्यूब चैनलों से बातचीत के दौरान कहा है कि मोदी ने 'उर्दू में पोस्ट' के जरिए पाकिस्तानियों के मज़े लेने की कोशिश की है। इस पर कई पाकिस्तानी भड़क उठे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर ऐसा क्या लिख दिया? यहां हम उस पोस्ट को हूबहू हिंदी में पेश कर रहे हैं।
'दफ़ा 370 ख़त्म करने से मुतल्लिक़ सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला तारीख़ी है और इसमें 05 अगस्त, 2019 को भारत की पार्लियामेंट की तरफ़ से किए गए फ़ैसले को आईनी तौर पर बरक़रार रखा गया है। यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हमारे बहन-भाइयों के लिए उम्मीद, तरक़्क़ी और इत्तहाद का ए'लामिया है। अदालत ने अपनी तमामतर अक़्ल और दानिश के साथ इत्तहाद के जज़्बे की हिफ़ाज़त की है, जिसे हम भारतीय शहरी इंतिहाई अज़ीज़ रखते हैं और इसे सारे मामलात से बालातर समझते हैं।
دفعہ 370 ختم کرنے سے متعلق سپریم کورٹ کا آج کا فیصلہ تاریخی ہے اوراس میں 05 اگست، 2019 کو بھارت کی پارلیمنٹ کی طرف سے کئے گئے فیصلے کو آئینی طور پر برقرار رکھا گیا ہے۔ یہ جموں و کشمیر اور لداخ میں ہمارے بہن بھائیوں کے لئے امید، ترقی اوراتحاد کا اعلامیہ ہے۔ عدالت نے اپنی تمام تر…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2023
मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के सब्र के हामिल लोगों को यक़ीन दिलाता हूं कि आपके ख़्वाबों को पूरा करने का हमारा अज़्म ग़ैर मुतज़लज़ल है। हम इस बात को यक़ीनी बनाने का तहय्या किए हुए हैं कि तरक़्क़ी के फ़ायदे न सिर्फ़ आप तक पहुंचें, बल्कि समाज के उन सबसे ज़्यादा कमज़ोर और पसमांदा तबक़ात तक भी पहुंचें, जिन्होंने दफ़ा 370 की वजह से मुसीबतें उठाई हैं।
आज का यह फ़ैसला महज़ कोई क़ानूनी फ़ैसला नहीं है, यह उम्मीद की एक किरण है। एक ताबनाक मुस्तक़बिल का वादा है और एक मज़बूत और मज़ीद मुत्तहिद भारत की तामीर के तईं हमारे इज्तिमाई अज़्म का एक सबूत है।'
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