पिछड़े तालुकों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करेगी कर्नाटक सरकार

सिद्दरामैया ने उत्तरी कर्नाटक के विकास पर कर्नाटक विधानसभा में चर्चा के दौरान कहा ...

Photo: siddaramaiah facebook page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में पिछड़े तालुकों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के नेतृत्व में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा।

सिद्दरामैया ने उत्तरी कर्नाटक के विकास पर कर्नाटक विधानसभा में चर्चा के दौरान कहा, 'मैं राज्य के एक जाने-माने अर्थशास्त्री की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करने जा रहा हूं।'

विजयपुरा से भाजपा विधायक, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने फैसले का स्वागत किया, लेकिन मुख्यमंत्री से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पैनल को एक समय सीमा निर्धारित करने के लिए कहा।

जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि छह महीने में रिपोर्ट देने को कहा जाएगा। सिद्दरामैया ने कहा कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डीएम नंजुंदप्पा की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने साल 2002-03 में सिफारिश की थी कि 114 पिछड़े तालुकों को 31,000 करोड़ रुपए की धनराशि दी जानी चाहिए।

नंदजुंदप्पा पैनल ने सिफारिश की थी कि आठ वर्षों के लिए विशेष अनुदान के रूप में प्रति वर्ष 2,000 करोड़ रुपए दिए जाने चाहिएं, शेष 15,000 करोड़ रुपए अन्य तालुकों के साथ असमानता को समाप्त करने के लिए राज्य के बजट से जुटाए जाने चाहिएं। लेकिन यह सिफ़ारिश 2007-08 में प्रभाव में आई।

मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया कि 2014-15 के अंत तक इन तालुकों पर 31,000 करोड़ रुपए की राशि खर्च नहीं की जा सकी।

उन्होंने कहा कि धारवाड़ स्थित सेंटर फॉर मल्टी-डिसिप्लिनरी डेवलपमेंट रिसर्च (सीएमडीआर) ने भी पिछड़े तालुकों पर अपनी रिपोर्ट दी थी और इसके निष्कर्ष नंजुंदप्पा समिति द्वारा दिए गए निष्कर्षों से अलग नहीं थे।

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