यह कैसे संभव है?

यह कैसे संभव है कि कोई यूट्यूबर पाकिस्तान में फौज, आईएसआई और कट्टरपंथियों को आड़े हाथों ले और वहां सुरक्षित भी रहे?

कहीं पाक फौज और आईएसआई इनके जरिए भारतीय जनमानस को प्रभावित करने में तो नहीं लगी हैं?

कुख्यात आतंकवादी दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान में कथित तौर पर जहर दिए जाने और उसके 'अस्पताल में भर्ती' होने के कयासों के उस पहलू को देखने-समझने की जरूरत है, जिसे इन दिनों ज्यादातर लोग नज़र-अंदाज़ कर रहे हैं। सबसे पहला सवाल तो यही है कि यह कयासबाजी कहां से शुरू हुई और इसे किसने हवा दी? इसके पीछे पाकिस्तान की एक यूट्यूबर, जो वरिष्ठ पत्रकार बताई जाती हैं, का नाम सामने आ रहा है, जो पिछले कुछ वर्षों से भारत के समाचार चैनलों पर दिखाई दे रही हैं और उनके यूट्यूब चैनल पर ज्यादातर वीडियो भारत की तारीफों से भरे पड़े हैं। 

वहीं, भारत के एक यूट्यूबर ने इस कयास को 'ब्रेकिंग न्यूज' की तरह पेश कर यह दिखाने की कोशिश की कि उनके 'सूत्रों' की पहुंच दाऊद इब्राहिम तक है। उसके बाद भारत और पाकिस्तान में कई यूट्यूबरों ने इसे हाथोंहाथ लिया। पाकिस्तान के समाचार चैनलों और प्रमुख वेबसाइटों ने ऐसे कयासों में कोई रुचि नहीं ली, लेकिन भारत में कई चैनलों ने 'पाकिस्तानी यूट्यूबर' के दावे को आधार मानकर इसे खूब प्रसारित किया। 

इस समूचे घटनाक्रम पर गौर किया जाए तो ताज्जुब होता है कि पाक में जिन लोगों ने ऐसे दावे कर सनसनी फैलाई, अपने यूट्यूब चैनल पर खूब व्यूज बटोरे, वे सकुशल हैं! जबकि पाकिस्तान तो अपनी जमीन पर दाऊद के होने से ही साफ इन्कार करता रहा है! इन दोनों बिंदुओं को एकसाथ देखा जाए तो संदेह पैदा होता है। पाक में स्वतंत्र पत्रकारिता का कहीं अस्तित्व नहीं है। वहां जिन पत्रकारों ने फौज, आईएसआई और आतंकवादियों के खिलाफ मुंह खोला, वे 'चुप' करा दिए गए। उनमें से कुछ तो विदेश में शरणार्थी हैं।

फिर यह कैसे संभव है कि कोई यूट्यूबर पाकिस्तान में फौज, आईएसआई और कट्टरपंथियों को आड़े हाथों ले और वहां सुरक्षित भी रहे? बहुत संभव है कि इन लोगों को आईएसआई ने ही तैयार किया हो कि वे यूट्यूब चैनल के जरिए भारत की तारीफ करें और पाकिस्तान की नीतियों पर सवाल उठाएं। इससे वे बड़ी तादाद में भारतीय दर्शकों को जोड़ लेंगे। पाकिस्तान से चलाए जा रहे कई यूट्यूब चैनल दिन-रात अपनी फौज, खुफिया एजेंसियों और कट्टरपंथियों को कोस रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती! जबकि ऐसे मामलों में पाकिस्तान का रुख बहुत सख्त रहा है। 

इन चैनलों के ज्यादातर दर्शक भारतीय हैं। उनमें से कई तो पाकिस्तानी महिला यूट्यूबरों की 'खूबसूरती' की तारीफें करते रहते हैं। वहां टिप्पणियों में शायद ही कोई पाकिस्तानी नजर आएगा। पाक में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के ठिकाने की सूचना अमेरिका को देने वाले डॉक्टर शकील अफरीदी को फौज ने न केवल जेल में डाला, बल्कि बुरी तरह प्रताड़ित भी किया था। लेकिन दाऊद इब्राहिम के बारे में कथित सूत्रों के जरिए सूचनाएं देने वाले ये पाकिस्तानी यूट्यूबर खुले घूम रहे हैं! यह कैसे संभव है? 

कहीं पाक फौज और आईएसआई इनके जरिए भारतीय जनमानस को प्रभावित करने में तो नहीं लगी हैं? कहीं यह दाऊद जैसे आतंकवादियों से ध्यान हटाने की कोशिश तो नहीं है? पाक में कोई यूट्यूबर एक शिगूफा छोड़ देता है, जिसके बाद भारत में काफी लोग उसके पीछे लग जाते हैं। हो सकता है कि भविष्य में किसी और आतंकवादी के बारे में ऐसा दावा कर दिया जाए और वह किसी गुप्त ठिकाने से दहशतगर्दी की दुकान चलाता रहे! हमें ऐसे चैनलों से परहेज करना चाहिए। 

आज जो पाकिस्तानी यूट्यूबर दिनभर भारत की तारीफ करते नहीं थकते, उनके पुराने ट्वीट व वीडियो उनकी पोल खोल देते हैं, जिनमें वे भारत से नफरत का खुलकर इजहार करते नजर आते हैं। क्या अब उनका हृदय-परिवर्तन हो गया? उनके वीडियो पर भारत से खूब व्यूज आ रहे हैं, जिसके बदले वे हर महीने मोटी कमाई कर रहे हैं। इस सूरत में वे ऐसा कोई शब्द नहीं बोलेंगे, जिसे भारतीय दर्शक वर्ग पसंद न करे। जिस दिन उन्हें इस दर्शक वर्ग की जरूरत नहीं होगी, वे अपने 'आकाओं' के पक्ष में खड़े नजर आएंगे।

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