सावधानी से निर्णायक विजय

कर्नाटक सरकार ने केरल में कोरोना वायरस के उप-स्वरूप जेएन.1 के मामले का पता लगने के बाद दिशा-निर्देश जारी किए हैं

'सतर्क रहने की जरूरत है, घबराने की जरूरत नहीं है'

हाल में देश के कुछ भागों में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सबको सावधानी बरतने की जरूरत है। केरल, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में दैनिक पॉजिटिव दर में बढ़ोतरी के बाद संबंधित जिलों के प्रशासन को चाहिए कि जनता को जागरूक करें, संक्रमण की रोकथाम के लिए एहतियात बरतें। 

कर्नाटक सरकार ने तो पड़ोसी राज्य केरल में कोरोना वायरस के उप-स्वरूप जेएन.1 के मामले का पता लगने के बाद दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उसने केरल और तमिलनाडु की सीमा से लगे जिलों में अधिकारियों को सतर्क रहने और पर्याप्त परीक्षण और कोविड मामलों की समय पर रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए सर्कुलर भी जारी किया है। 

कर्नाटक में कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को स्तनपान कराने वाली माताओं को घर से बाहर निकलने पर फेस मास्क पहनने की सलाह और इन्हें बंद स्थानों, कम हवा वाले स्थानों और भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचने के लिए कहना उचित ही है। 

बेशक टीकाकरण से देशवासियों में कोविड-19 के संबंध में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस संक्रमण की वैसी लहर आने की आशंका नहीं है, जैसी पूर्व में आई थी, लेकिन यह ध्यान में रखना जरूरी है कि अभी संक्रमण फैल रहा है। कुछ लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही हैं। 

अगर महामारी पर विजय पाने के इतने प्रयासों के बाद एक भी व्यक्ति की जान जाती है, तो यह दु:खद है। यह कहकर संतोष नहीं किया जा सकता कि आज इस वायरस की वजह से जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा बहुत ही कम है। हर व्यक्ति अपने परिवार के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए अगर आज कुछ लोग संक्रमित हो रहे हैं, तो सबको उन सावधानियों पर अमल करना चाहिए, जिससे हम संक्रमण को आगे बढ़ने से रोकें।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों की तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही कोविड के नए स्वरूप को लेकर सतर्कता बरतने की अपील की है। हालांकि मंत्री ने यह भी कहा कि 'सतर्क रहने की जरूरत है, घबराने की जरूरत नहीं है।' चूंकि देशवासी कोरोनारोधी टीके से 'सुरक्षा कवच' हासिल कर चुके हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई कवच उसी सूरत में कारगर होता है, जब उसे धारण करने वाला योद्धा सावधानी बरते। युद्ध कला के नियमों की अनदेखी करना मुसीबत लाता है, तब मजबूत से मजबूत कवच भी पूरा फायदा नहीं देता। 

कमोबेश यही नियम कोविड-19 संक्रमण से लड़ाई पर लागू होता है। टीकाकरण एक कवच है, लेकिन हमें स्वच्छता संबंधी सावधानी बरतनी होगी। अगर प्रशासन किसी खास आयुवर्ग या रोग स्थिति वाले लोगों को मास्क पहनने के लिए कहे तो उन्हें यह पहनना चाहिए। जितना संभव हो, भीड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करना बेहतर है। चूंकि क्रिसमस से लेकर नए साल तक पर्यटक स्थलों पर भीड़ उमड़ेगी। अभी बसें, ट्रेनें, हवाई जहाज यात्रियों से भरे हुए हैं। लोग इस समयावधि को हंसी-खुशी से बिताना चाहते हैं, ताकि नई ऊर्जा के साथ नए साल का स्वागत करें। 

जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या, विशेष रूप से श्वसन तंत्र की समस्या है तो वे खास सावधानी बरतें। अगर वे भीड़ वाली जगह पर न जाएं तो बेहतर है। चिकित्सक की सलाह लेकर कोरोना जांच करवा लेने से खुद के अलावा अन्य लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। 

अगर संक्रमण पाया जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हाल में संक्रमण के जितने मामले सामने आए, उनमें से 92.8 प्रतिशत होम क्वारंटाइन हैं। यह हल्की बीमारी का संकेत है। वहीं, कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की दर में बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। आज हमारे पास इस बीमारी से लड़ने के लिए काफी अनुभव और संसाधन हैं। सावधानी बरतेंगे तो इस पर शीघ्र ही निर्णायक विजय मिल जाएगी।

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