जम्मू-कश्मीर में सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए आतंकवादी हमले में पांच सैनिकों का वीरगति को प्राप्त होना देश के लिए बड़ी क्षति है। वहीं, बारामूला जिले में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की अजान देते समय गोली मारकर हत्या की घटना भी अत्यंत दु:खद है। ये दोनों घटनाएं बताती हैं कि आतंकवादी किस कदर बौखला गए हैं!
ये मानवता के शत्रु हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर की शांति बर्दाश्त नहीं हो रही है। इन हत्याओं के पीछे जो लोग हैं, उनका कृत्य अत्यंत निंदनीय है। ये हर उस व्यक्ति के शत्रु हैं, जो देश की एकता, सुरक्षा और आध्यात्मिकता में विश्वास करता है। इन हत्यारों को अपने कृत्य का कठोर दंड मिलना चाहिए। सुरक्षा बल बहुत तेजी से उनकी तलाश कर रहे हैं। लिहाजा उम्मीद है कि देर-सबेर अपराधी जरूर पकड़े जाएंगे।
ये आतंकवादी घटनाएं ऐसे समय में हुई हैं, जब हाल में उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के संबंध में अपना फैसला सुनाया है। जम्मू-कश्मीर में देश-विदेश से खूब पर्यटक आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस साल कश्मीर में लगभग दो करोड़ पर्यटक आए हैं। यह बहुत बड़ा आंकड़ा है।
इससे पता चलता है कि घाटी में हालात तेजी से बेहतर हुए हैं। आतंकवादियों को यह प्रगति नहीं सुहा रही है। वे अपनी हरकतों से दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर में शांति कायम नहीं हुई है। वे चाहते हैं कि कश्मीर में पर्यटक न आएं, रोजगार के नए अवसर पैदा न हों, आम लोगों को सुविधाएं न मिलें।
ये आतंकवादी और इनके आका केंद्रीय सुरक्षा बलों व जम्मू-कश्मीर पुलिस के तो शत्रु हैं ही, कश्मीरियों के भी शत्रु हैं। ये जिस कथित आज़ादी के लिए वर्षों से उपद्रव मचा रहे हैं, वह असल में बर्बादी है। जम्मू-कश्मीर के सुरक्षित व उज्ज्वल भविष्य के लिए इन आतंकवादियों का खात्मा जरूरी है। साथ ही उन पर भी सख्ती की जानी चाहिए, जो विभिन्न तरीकों से इनकी हिमायत के लिए खड़े हो जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर को धरती की जन्नत यूं ही नहीं कहा गया है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र का सनातन संस्कृति से गहरा संबंध है। यहां सनातन धर्म के बड़े-बड़े ऋषियों ने तपस्या की थी। यहां ज्ञान-विज्ञान के उत्कृष्ट ग्रंथों की रचना हुई थी। यहां सदियों पुराने मंदिरों, उनमें विराजमान प्रतिमाओं का इतिहास जाने बिना देश का इतिहास अधूरा है। यहां अनेक कलाओं का जन्म हुआ था। इस क्षेत्र पर आक्रांताओं की कुदृष्टि रही है।
पाकिस्तान इसे छल, बल और आतंकवाद से हड़पना चाहता है। उसने एक हिस्से (पीओके) पर तो अवैध कब्जा कर रखा है। हाल के वर्षों में भारत ने आतंकवाद के प्रति अपना रुख बहुत सख्त किया है, जिससे बड़ी संख्या में आतंकवादी ढेर हुए हैं। इससे आतंकवाद संबंधी घटनाओं में बहुत कमी आई है, लेकिन सुरक्षा बलों के वाहनों पर घात लगाकर हमले की कोशिशें हो रही हैं।
बलों की सावधानी के बावजूद कभी-कभी आतंकवादी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। पुलवामा हमला भी ऐसी ही एक आतंकवादी घटना थी। आतंकवादियों को सुरक्षा बलों के वाहनों की आवाजाही की सूचना देने और हमले के लिए हथियार मुहैया कराने के पीछे नेटवर्क होता है। इस समूचे 'नापाक' नेटवर्क को नष्ट करते हुए आतंकवादियों को दंडित कर कड़ा संदेश देना ही होगा।