जिन्होंने समाज के साथ अन्याय करने में कसर नहीं छोड़ी, वे 'न्याय यात्रा' की कल्पना कर रहे हैं: नड्डा

जेपी नड्डा ने लखनऊ में महिला हाफ मैराथन को हरी झंडी दिखाई

नड्डा ने कहा कि स्पर्धा सिर्फ​ खिलाड़ियों की नहीं होती है, देश को आगे ले जाने वाले और देश को रोकने वालों के बीच में भी होती है

लखनऊ/दक्षिण भारत। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को लखनऊ में महिला हाफ मैराथन को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नौजवान पीढ़ी के लिए आज का समय 'ऐतिहासिक' है, क्योंकि हम अमृतकाल से निकलकर 'विकसित भारत' की ओर अग्रसर हो रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि देश की आजादी में, देश को मजबूत बनाने में जिन लोगों ने अपना योगदान दिया, हमने उन लोगों को अमृतकाल में याद किया। अपने गौरवमय इतिहास को याद किया और साथ-साथ विकसित भारत का संकल्प लिया।

नड्डा ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे सिर्फ चार जातियां दिखती हैं और ये जातियां हैं- महिला, किसान, युवा और गरीब। अगर हम इन चार जातियों को ताकत देंगे तो 'विकसित भारत' का सपना साकार होगा।

नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'स्टार्टअप इंडिया', 'खेलो इंडिया', 'फिट इंडिया' ... जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम से देश के युवाओं को सशक्त किया। एशियाई खेलों में भारत ने आज तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन एशियन गेम्स 2023 में किया और सर्वाधिक मेडल जीते।

नड्डा ने कहा कि एक समय था, जब उत्तर प्रदेश को गुंडों के प्रदेश के नाम से जाना जाता था। महिलाओं का घर से सुरक्षित निकलना मुश्किल था। सारे काम ठप्प थे। उस समय उत्तर प्रदेश मतलब पिछड़ा हुआ प्रदेश था। आज मोदी के आशीर्वाद से और योगी की मेहनत से उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य के रूप में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।

नड्डा ने कहा कि स्पर्धा सिर्फ​ खिलाड़ियों की नहीं होती है, स्पर्धा देश को आगे ले जाने वाले और देश को रोकने वालों के बीच में भी होती है। एक तरफ हमारे मोदी हैं, जो देश को आगे बढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर इंडि गठबंधन है, जो देश को रोकने पर तुला है। उनकी स्पर्धा है देश को नीचे खिसकाएं और हमारी स्पर्धा है भारत को मोदी के नेतृत्व में आगे लेकर जाएं।

नड्डा ने कहा कि जिन लोगों ने पिछले इतने वर्षों में भारत को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वे भारत जोड़ो यात्रा पर निकल गए थे। जिन लोगों ने समाज के साथ अन्याय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वे आजकल 'न्याय यात्रा' की कल्पना कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपने परिवार के बाहर किसी की कल्पना ही नहीं की, वो आज देश की बात कर रहे हैं।

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