नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सेबी को अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों से संबंधित दो लंबित मामलों की जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया।
यह मानते हुए कि वह सेबी की जांच की शक्ति को विनियमित नहीं कर सकती है, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सेबी ने अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों से संबंधित 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है।
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि मामले के तथ्य इस बात की गारंटी नहीं देते कि (मामले की) जांच किसी विशेष जांच दल (एसआईटी) या अन्य जांच एजेंसी को सौंपी जाए।
शीर्ष न्यायालय ने भारतीय कॉर्पोरेट दिग्गज द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों पर अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद पर याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुनाया।
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामक डोमेन में प्रवेश करने की शीर्ष न्यायालय की शक्ति सीमित है।
वकील विशाल तिवारी, एमएल शर्मा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जायसवाल द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर फैसला पिछले साल 24 नवंबर को सुरक्षित रखा गया था।
हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा व्यापार समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-मूल्य में हेराफेरी सहित कई आरोप लगाए जाने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
अडाणी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज किया और कहा था कि वह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है।