तकनीक का दुरुपयोग

अपराधी तत्त्व जैसे-जैसे इसमें पारंगत होते जाएंगे, वे अपराध करने के नए-नए तरीके ढूंढ़ेंगे

दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का 'डीपफेक' वीडियो बनाकर एक गेमिंग ऐप का प्रचार किया जा रहा है!

देश-दुनिया में 'डीपफेक' के मामले बढ़ते जा रहे हैं। तकनीक के दुरुपयोग से जुड़े गंभीर मामले पहले ही काफी ज्यादा हैं। पुलिस को उन्हें सुलझाने और दोषियों को कानून के शिकंजे तक पहुंचाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है। अब 'डीपफेक' एक नई मुसीबत है, जिससे लोगों को गुमराह करने, भ्रम फैलाने, दुष्प्रचार करने जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों को 'अगले स्तर' पर ले जाया जा सकता है। 

अपराधी तत्त्व जैसे-जैसे इसमें पारंगत होते जाएंगे, वे अपराध करने के नए-नए तरीके ढूंढ़ेंगे। प्राय: अपराधियों द्वारा जब भी ऐसा तरीका पहली बार आजमाया जाता है या जिसके बारे में लोगों को कम जानकारी होती है, उनके झांसे में आने की आशंका काफी ज्यादा रहती है। पिछले एक दशक में, जब घर-घर तक मोबाइल फोन और इंटरनेट की पहुंच हो गई, आर्थिक अपराध काफी बढ़ गए हैं। 

शुरुआत में लोगों को लॉटरी के नाम पर खूब ठगा गया। फिर जब मीडिया ने ऐसे मामलों को उठाया तो ठगों ने दूसरे रास्ते निकाल लिए। वे पार्ट टाइम जॉब, निवेश में शानदार रिटर्न, सट्टा आदि के नाम पर ठगने लगे। ठगों ने 'केबीसी' के नाम पर भी कई लोगों के बैंक खाते खाली किए। वॉट्सऐप पर एक वीडियो खूब शेयर हुआ था, जिसमें एक प्रसिद्ध अभिनेता की आवाज में किसी व्यक्ति के करोड़पति होने की फर्जी घोषणा की जाती थी। 

बहुत लोगों ने उस वीडियो पर विश्वास कर अपनी मेहनत की कमाई गंवाई। अब दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का 'डीपफेक' वीडियो बनाकर एक गेमिंग ऐप का प्रचार किया जा रहा है! इस वीडियो को देखकर आम लोग भ्रमित हो सकते हैं। वे उसमें बताए गए ऐप के प्रति आकर्षित हो सकते हैं।

हालांकि अगर वीडियो को ध्यान से देखा जाए तो ऐसे कई बिंदु मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि यह फर्जी है। वीडियो में आवाज को काफी हद तक सचिन की आवाज जैसी बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन वह पूरी तरह नहीं बन पाई। सचिन के हावभाव थोड़े-से मिलते हैं। शब्दों का प्रवाह सामान्य नहीं है। ऐसा उसी स्थिति में हो सकता है, जब मशीनी आवाज हो। 

गणित की जरा-सी भी समझ रखने वाला व्यक्ति यह जानता है कि हिंदी में एक लाख से ज्यादा की राशि को किस तरह लिखा और बोला जाता है, लेकिन यह वीडियो बनाने वाला शायद इससे परिचित नहीं है या उसे गणित की समझ कम है। आम बोलचाल में सौ हज़ार या 180 हज़ार बोलने का चलन नहीं है। इसे एक लाख या एक लाख 80 हजार ... बोला जाता है। 

इस वीडियो में सचिन को ऐसा बोलते दिखाया गया है, क्योंकि तकनीकी अनुवाद में ऐसी खामियां देखने को मिलती हैं। हाल में फेसबुक पर ऐसे ही एक विदेशी ऐप का फर्जी विज्ञापन चर्चा में आया था, जिसने पोस्ट में जोरदार कमाई का झांसा दिया था। वहीं, नीचे टिप्पणियों में हिंदी नामों वाली प्रोफाइल से इस ऐप का समर्थन किया गया था। यह दावा किया जा रहा था कि इस ऐप ने 'हमारी ज़िंदगी' बदल दी! 

उन टिप्पणियों की भाषा में बहुत कठिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया था, जो किसी भी आम हिंदीभाषी की बोलचाल का हिस्सा नहीं होते। स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति ने उस फर्जी ऐप और फर्जी टिप्पणियों वाली पोस्ट प्रकाशित की होगी, उसे भाषा संबंधी जानकारी नहीं थी। उसने विदेश में खुद की भाषा में फर्जी टिप्पणियां तैयार कीं और इंटरनेट की मदद से उनका अनुवाद कर लिया। 

जिसे हिंदी भाषा और भारतीय समाज की थोड़ी भी जानकारी होगी, वह उसे देखकर समझ गया होगा कि यह अपराधियों द्वारा बिछाया गया जाल है। अगर इस पर विश्वास कर लिया तो नुकसान उठाना पड़ेगा। अब डीपफेक की चुनौती से निपटने के लिए इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को ज्यादा सजग रहना होगा। वहीं, पुलिस और जांच एजेंसियों को साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए अत्याधुनिक तकनीक के साथ अधिक सक्षम बनना होगा।

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