'ऐसे लेकर जाएंगे भगवान को?'

बेंगलूरु की सोसाइटी में विराजित मूर्तियों को बिल्डर ने कार की डिक्की में डाला

मूर्तियां हटाने के 'तरीके' से लोग आक्रोशित, किया विरोध-प्रदर्शन

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। एक ओर जहां अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर देश-विदेश में लोग हर्षित हैं, जगह-जगह भजन-कीर्तन हो रहे हैं, वहीं बेंगलूरु में एचएमटी रोड स्थित 'प्लेटिनम सिटी' में भगवान की मूर्तियां 'अपमानजनक ढंग' से हटाने का मामला सामने आया है।

यहां के निवासियों ने बताया कि वे महीनेभर से सोसाइटी प्रांगण के एक हिस्से में भगवान गणपति, शिवजी, पार्वती, हनुमानजी की मूर्तियां और राम-दरबार का चित्र लगाकर पूजन कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि बुधवार शाम को बिल्डर अपनी कार से आया और मूर्तियों, राम-दरबार और पूजन सामग्री को 'अपमानजनक ढंग' से गाड़ी में डाल दिया। इसके बाद लोगों ने भारी विरोध-प्रदर्शन किया तो सभी मूर्तियां सोसाइटी निवा​सियों को दे दीं। इस घटना से लोग आक्रोशित हो गए और सोसाइटी प्रांगण में इकट्ठे हो गए। मौके पर पुलिस को भी बुला लिया, जिसने मामले को शांत करवाया।

स्थानीय निवासी योगेश जिंदल ने बताया कि सोसाइटी के लोगों की इच्छा थी कि वे मंदिर बनाएं। इसके लिए 80 प्रतिशत लोगों ने लिखित में सहमति भी दी थी। इसके बाद वे सोसाइटी के ही एक हिस्से में, जहां से लोगों की आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं थी, मूर्तियां विराजित कर भजन-पूजन करने लगे थे। यहां महिलाओं और बुजुर्गों के लिए भी बैठने की व्यवस्था की गई थी। यह स्थान हर समुदाय के लोगों के लिए खुला था। उन्होंने बताया कि शाम करीब 5 बजे बिल्डर और उसके लोग आए तथा भगवान की मूर्तियां आदि कार की डिक्की में 'अपमानजनक ढंग' से डालकर ले जाने लगे। इससे लोग आक्रोशित हो गए। उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। लोगों का कहना है कि बिल्डर को पहले बात करनी चाहिए थी। वे इसके लिए बैठक करने को तैयार हैं। यही नहीं, अगर दूसरी जगह हो तो वहां मंदिर निर्माण हो सकता है, लेकिन मूर्तियों को इस तरह उठाकर डिक्की में डालना उचित नहीं है।

एक और स्थानीय निवासी गोपाल अग्रवाल ने बताया कि सोसाइटी में मंदिर की स्थापना के लिए इंचार्ज से कहा था। उन्होंने बताया कि लोगों का प्रस्ताव था कि बिल्डर स्वयं यहां आकर बैठक करे, जिससे सोसाइटी से जुड़े अन्य मसलों पर भी बातचीत की जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल्डर ने कई बार विभिन्न मुद्दों की अनदेखी की, लेकिन जैसे ही मूर्तियों के बारे में पता चला, तुरंत आ गए और किसी को बिना बताए ले जाने लगे। उन्होंने कहा कि बिल्डर का यह तरीका गलत था। अगर उन्हें मूर्तियां हटानी ही थीं तो पहले लोगों से बात करनी चाहिए थी। बैठक में जो भी निर्णय होता, उसके अनुसार हम खुद मूर्तियों को अन्य स्थान पर स्थापित करते, लेकिन वे जिस तरह लेकर गए, डिक्की में डाला, वह सम्मानजनक तरीका नहीं है। अग्रवाल ने बताया कि लोगों के विरोध-प्रदर्शन के बाद बिल्डर ने मूर्तियां लौटा दीं और उन्हें पुन: उसी स्थान पर विराजमान किया गया है। 

घटना के वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में देखा गया कि जब कार ​की डिक्की खोली जाती है तो गणेशजी की मूर्ति पीठ के बल रखी मिलती है। इस पर लोग आपत्ति जताते हैं। वे कहते हैं- 'आप ऐसे लेकर जाएंगे भगवान को?' उसके बाद लोग मूर्तियों को डिक्की से बाहर निकालते हैं। उपस्थित लोगों ने 'जय श्रीराम' और 'गणपति बप्पा ...' के नारे भी लगाए। घटना की आस-पास के इलाकों में काफी चर्चा है। बता दें कि इस घटना में कोई भी मूर्ति खंडित नहीं हुई है। 

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