गणतंत्र दिवसः तमिलनाडु की झांकी में ऐतिहासिक कुदावोलाई चुनावी प्रणाली को प्रदर्शित किया गया

इसके तहत ग्राम प्रशासन को चलाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता था

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को कर्तव्य पथ पर तमिलनाडु की झांकी ने कुदावोलाई चुनावी प्रणाली के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। बता दें कि यह प्रणाली 10वीं शताब्दी के चोल युग के दौरान उभरी और लोकतंत्र की दिशा में शुरुआती कदम को चिह्नित किया था।

इसके तहत ग्राम प्रशासन को चलाने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता था। इस तरह यह प्रणाली साम्राज्य के प्रति लोगों की सामूहिक इच्छा को आवाज देती थी।

इस प्रणाली के ऐतिहासिक साक्ष्य कांचीपुरम जिले में स्थित उथिरामेरुर शिलालेखों में दर्ज़ हैं।

झांकी के ट्रैक्टर अनुभाग में चयन प्रक्रिया का एक प्रतिनिधित्व दिखाया गया था। एक विशिष्ट वार्ड के लोग अपने मतदान टिकट एक बर्तन में डालने के लिए लाइन में लगे नजर आए।

निर्वाचित नेता की घोषणा करने के लिए, एक छोटा लड़का बर्तन से टिकट उठाकर परिणाम सभी को सुनाने के लिए ज़ोर से घोषणा करता था। इस प्रक्रिया को पवित्र माना जाता था।

ट्रेलर खंड में चयन प्रक्रिया और ग्राम विकास योजना को तैयार करने को दर्शाया गया है।

ग्राम विकास योजना की तैयारी के लिए एक बरगद के पेड़ के नीचे समुदाय के सदस्यों की सभा को दर्शाया गया है, जो निर्णय लेने की सामुदायिक प्रकृति को बताता है।

झांकी में उथिरामेरुर में वैकुंडा पेरुमल मंदिर का एक स्केल मॉडल भी दिखाया गया, जो स्थानीय संस्कृति में इसके एकीकरण को प्रदर्शित करता है।

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