कर्नाटक: राज्यपाल ने साइनबोर्डों के 60% हिस्से में कन्नड़ संबंधी अध्यादेश सरकार को वापस भेजा

डीके शिवकुमार ने कहा- 'कन्नड़ को सुरक्षा और सम्मान देना हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है'

Photo: @thawarchand.gehlot FB page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्डों के 60 प्रतिशत हिस्से में कन्नड़ भाषा का उपयोग अनिवार्य करने वाला अध्यादेश राज्य सरकार को वापस भेज दिया है।

इसकी जानकारी उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने दी है।

उन्होंने कहा, 'हमने (सरकार ने) साइनबोर्ड पर एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। राज्यपाल ने इसे विधानसभा में पारित कराने की बात कहते हुए वापस भेज दिया है। वे अब अपनी सहमति दे सकते थे। कन्नड़ को सुरक्षा और सम्मान देना हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है।'

मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा था कि कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम 2022 की धारा 17(6) को अध्यादेश के माध्यम से संशोधित किया जाएगा, ताकि 28 फरवरी से सभी दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत हिस्से में कन्नड़ होना अनिवार्य हो सके।

बता दें कि कर्नाटक मंत्रिमंडल ने 5 जनवरी को कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी थी, जो साइनेज में राज्य की भाषा का 60 प्रतिशत उपयोग अनिवार्य करता है।

सरकार ने कन्नड़ को 'प्रमुखता नहीं देने पर' बेंगलूरु में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने वाले कन्नड़ समर्थक संगठनों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अध्यादेश का रास्ता अपनाने का फैसला किया था।

कानून के अनुसार व्यवसायों के नाम प्रदर्शित करने वाले बोर्डों के ऊपरी आधे हिस्से में कन्नड़ भाषा के उपयोग की जरूरत होती है।

कर्नाटक का बजट सत्र 12 से 23 फरवरी तक होगा।

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